कई
मंत्रालय संभाल चुकी हैं डा. कांति सिंह
फोटो-डा.कांति सिंह
क्षेत्र में रहीं, वादे कीं लेकिन पुरा
नहीं किया
उपेन्द्र कश्यप
काराकाट से राजद प्रत्याशी डा. कांति सिंह केंद्र की युपीए-एक की सरकार में मंत्री
रही हैं। पीडब्लूडी में कार्यपालक अभियंता के पद से सेवानिवृत पिता स्व. रामसुंदर
सिंह की इस पुत्री का जन्म 8 मार्च 1957
को हुआ है। मूलत: नोखा प्रखंड के पचहर की निवासी हैं। पति केशव सिंह भी इंजीनियर
हैं जि कि रोहतास के कोचस के ओझवलिया के निवासी हैं। दो बेटे काजल सिंह और ऋषी
कुमार हैं। ऋषी अपनी नौकरी छोडकर अपना रोजगार कर रहे हैं। नौकरी पेशा पिता के
सथानांतरण के कारण कई जगह पालन पोषण हुआ। सन 1996 में विक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र से
पहली बार जनता दल से सांसद बनीं और केंद्र में गठबन्धन की सरकार में मानव संसाधन
राज्य मंत्री और फिर कोयला मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनीं। साल 1999 का चुनाव भी इसी
क्षेत्र से राजद से जीतीं। सन 2004 में आरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से जीत कर
केंद्र में महिला विकास मंत्री, भारी उद्योग और फिर पर्यटन राज्य मंत्री बनीं।
इसके पूर्व 1995 में पीरो विधान सभा क्षेत्र से विधायक रहीं थीं। इनपर दल बदलने,
निष्ठा बदलने और दल बनाने जैसे आरोप नहीं लगे हैं। साल 2009 में काराकाट लोकसभा
क्षेत्र वजूद में आया। चुनाव लडीं और हार गई। फिर मैदान में हैं। पिछली दफा जब
उनको पुरी उम्मीद थी कि उन्हें ही टिकट मिलेगा तो इलाके में आना शुरु कीं। दिसंबर
2008 में वे ओबरा गईं। बोली कि ओबरा का कालीन उद्योग को पर्यटन ग्राम बनाने का
प्रयास करेंगी। तब पर्यटन राज्य मंत्री थीं। चुनाव हार गईं। उसके बाद इस मुद्दे को
कभी नहीं उठाया। इन्होंने पटना में 23 दिसंबर 2013 को चौधरी चरण सिंह की जयंती
कार्यक्रम में कहा था कि उद्योगों को अपने उत्पाद की कीमत तय करने का अधिकार होता
है इसलिए किसानों को भी अपनी फसल की कीमत तय करने का अधिकार मिलना चाहिए। इस
मुद्दे पर भी फिर सक्रियता नहीं दिखी। जबकि केंदर की सरकार को राजद का समर्थन जारी
था। इनका आरोप है कि राजद शासन काल में सोन आधुनिकीकरण की योजना शुरु की गई थी जिसे
नीतीश सरकार ने बन्द कर दिया। तो क्या यदि चुनाव जीतती हैं तो माना जाए कि इलाके
के लिए इन तीन महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी ओर से पहलकदमी होगी?
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