उपेन्द्र कश्यप –औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र से
औरंगाबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र
पिछडी,अतिपिछडी,अनुसुचित जाति-जनजाति बहुल इलाका है,लेकिन राजनीतिक पहचान
“चितौडगढ” से होती है। शहर में पश्चिम दिशा से एन.एच.-98 से प्रवेश करते ही महाराणा
प्रताप और भामा शाह की भब्य प्रतिमा लगाई गई है। 05 फरवरी 2008 को जब इसका उद्घाटन
कराया गया था तब भी स्पष्ट सन्देश देने के लिए ही तत्कालीन राष्ट्रपति भैरोसिंह
शेखावत का चयन किया गया था। इस क्षेत्र में 6 विधानसभा सीट हैं-देव,शेरघाटी एवं
इमामगंज सुरक्षित हैं। इनकी आबादी क्रमश (2001 के अनुसार)365654 (एससी-103117,एसटी-365),320516
(एससी-110174,एसटी-393) तथा 352951 (एससी-134301,एसटी-439) है। औरंगाबाद 313664 (एससी-70064,एसटी-479),
रफीगंज-315449 (एससी-74250,एसटी-171) एवं गुरुआ-339172 (एससी-108460,एसटी-116) है।
कुल आबादी-2007406 में 601166 एससी-,1963 एसटी है। एससी,एसटी की आबादी के बाद
बचे-1404277 में भी पिछडी/अति पिछडी (जिसकी स्पष्ट गिनती नहीं) जाति की संख्या
अनुमानत: सवर्ण आबादी से काफी अधिक है। लेकिन लोकसभा क्षेत्र गठन से ही इसे एक
जाति विशेष के बाहुल्य वाला क्षेत्र बताया जाता रहा।चुनावी परिणाम को भी इसकी
पुष्टी के तौर पर प्रस्तुत किया जाता रहा है, ताकि हर दल राजपुतों की ही चिंता करें।
....और यह सब होता रहा तो सिर्फ इसलिए कि
बहुजन (गैर सवर्ण) कही जाने वाली जातियां खुद को उपजातियों में बंटा हुआ मानती
रहीं,और पिछडावाद की राजनीति से उभरे जनता दल/राजद, समता पार्टी/जद-यू, भारतीय
लोकदल जैसे दलों ने भी किसी दूसरी जाति पर भरोसा नहीं किया। सबों ने एक ही जाति पर
भरोसा किया।परिणामत: मतों में बिखराव का लाभ एक जाति विशेष के लोग लेते रहे और
चितौडगढ ध्वस्त करने का सपना कभी पुरा नहीं हुआ (देखें-विजेता सांसदों की सूची)। चितौडगढ
ध्वस्त करने का जो भी प्रयास किया गया,वह जनता के स्तर पर ही पार्टी के स्तर पर
नहीं गैर सवर्णों की ओर से कोई वैसा दिग्गज नेता, जिसकी जन अपील हो,जन स्वीकार्यता
हो ,वैसा उभरा भी नहीं। एक व्यक्तित्व जो थोडी-बहुत उम्मीद जगाता भी दिखा,तो उस
रामविलास सिंह (अब स्व.) को किसी दल ने अपना प्रत्यासी भी नहीं बनाया। वर्ष 2009
में नए परीसीमन पर जब चुनाव हो रहे थे तब गया जिला के तीनों विधानसभा क्षेत्र-शेरघाटी,इमामगंज
एवं गुरुआ के शामिल होने के कारण यह उम्मीद बनी थी कि इस बार चितौडगढ ढह
जाएगा,लेकिन इस बार भी उम्मीद और प्रयास सिर्फ जनता के स्तर तक ही सिमट कर रह गया।
कौंग्रेस या जद यू ने किसी
पिछडे को प्रत्यासी नहीं बनया। राजद ने भी सवर्ण मुस्लिम शकिल अहमद खान को ही अपना
प्रत्यासी बनाया था। गत चुनाव परिणामों को ही देखें तो यह स्पष्ट दिखता है कि
बहुजन बहुसंख्या में विभिन्न दलों से खडे हुए और मतों में बिखराव के कारण कोई भी
अपनी जमानत तक नहीं बचा सके।संतोष कुमार(7954) को मजबुत
दावेदार माना गया था,नतीजा हास्यास्पद रहा। कुल 16 में 11 बहुजन खडे थे
जिन्हे-कुल-84646 मत मिला।इअसके अलावा राजद को मिले 188095 मत
में 90 फिसदी वोट,और जद यू+भाजपा को मिले -260153 मत में अधिकांश मत गैर सवर्णों
का ही शामिल है। यानी अगर बहुजन तबका यह ठान ले कि उसे अपनी बिरादरी से ही सांसद
बनाना है तो उसकी जीत तय है,लेकिन क्या ऐसा हो सकेगा? यह बडा सवाल है। गढ बचाने की
चिंता करने वाला समुदाय प्राय: सफल रहा। हम पहले भी देख चुके हैं कि परीसीमन के
वक्त इस सीट को आरक्षित होने से बचाने के प्रयास में कैसे दो धुर विरोधी एक तर्क, एक
मंच पर साथ हो गए थे। तो क्या जब तक नए परीसीमन से इसे सुरक्षित नहीं किया जाता तब
तक यह गढ बचा रहेगा? शायद हां।
आसन्न
लोकसभा चुनाव में सांसद सुशील सिंह जद यू छोडकर भाजपा का दामन पकड मैदान में हैं। भाजपा
कभी चुनाव लडी ही नहीं है-उसे एक दमदार प्रत्यासी की तलाश पूरी गई है। जद यू ने
सोशल इंजीनियरिंग के तहत कुशवाहा बागी कुमार वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। यह
विचार स्पेस पा रहा है कि चितौडगढ ध्वस्त कर दिया जाए। किंतु इसमें सफलता इतना मिल
पाएगा यह सन्दिग्ध है क्योंकि कुनबे में बंटे पिछडे, अति पिछडे या दलित महादलित एक
हो सकेंगे यह मुश्किल लगता है। राजद+कौंग्रेस निखिल कुमार प्रत्यासी हैं। हांलाकि
जीत की सम्भावना राजद+कौंग्रेस के पिछडे/अतिपिछडे प्रत्यासी से अधिक होती, अगर कोई
बहुजन आता। लेकिन यह अधिकार रखने वाले बहुजन की नुमाइन्दगी नहीं करते। खैर –उमीदों
के अतिरिक्त दूसरा कोई रास्ता नहीं दिख रहा।
औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित सांसद
सन
1952 से 2009 तक
भारतीय गणतंत्र में अबतक औरंगाबाद क्षेत्र
से कुल 16 बार लोकसभा का चुनाव हुआ है।सभी एक ही जाति विशेष “राजपूत” से रहे
,इसीलिए इस क्षेत्र को “चितौडगढ” की संज्ञा मिली।सभी के नाम इस प्रकार है—
क्रम वर्ष नाम पार्टी
1 1952 सत्येन्द्र नारायण सिन्हा कौंग्रेस
2 1957 सत्येन्द्र नारायण सिन्हा “
3 1960 रमेश प्रसाद सिंह “
(नोट-मध्यावधी चुनाव,क्योंकि एस.एन.सिन्हा
विनोदानन्द
झा
मंत्रीमण्डल में मंत्री बन इस्तीफा दे दिया था)
4 1962 ललिता राज लक्षमी स्वतंत्र पार्टी
5 1967 मुन्द्रिका सिंह कौंग्रेस
6 1971 सत्येन्द्र नारायण सिन्हा संगठन कौंग्रेस
7 1977
“ भारतीय
लोकदल
8 1980
“ जनता
पार्टी
9 1984 “ कौंग्रेसा
10 1989 रामनरेश सिंह (लुटन बाबु) जनता दल
11 1991 “ “
12 1996 वीरेन्द्र सिंह “
13 1998 सुशील सिंह समता
पार्टी
14 1999 श्यामा सिंह कौंग्रेस+राजद
15 2004 निखिल कुमार सिंह “ “
16 2009 सुशील सिंह जद
(यू)+ भाजपा
2009 Electon Results Aurangabad Lok Sabha
Constituency
Total
Candidates – 16-
-SUSHIL KUMAR SINGH of the Janata Dal
(United) is the winner of the 2009 elections
SUSHIL
KUMAR SINGH - JD(U) – 260153**SHAKIL AHMAD KHAN - RJD –
188095**NIKHIL KUMAR - INC - 54581
ARCHNA
CHANDRA - BSP – 45173 **ANIL KUMAR SINGH - RSWD – 5096**AMERIKA MAHTO - SSD - 4550
RAM KUMAR
MEHTA - LTSD – 4362**VIJAY PASWAN - BSKP – 3019**ASLAM ANSARI - IND - 1717
INDRA
DEO RAM - IND – 1430**UDAY PASWAN - IND – 2148**PUNA DAS - IND – 6043**RANJEET KUMAR - IND - 5738
RAJENDRA
YADAV - IND – 4782**RAMSWARUP PRASAD YADAV - IND –
3468**SANTOSH KUMAR - IND - 7954
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