Tuesday, 7 October 2025

31 बार की कोशिश में 2005 में मिली सफलता

 


दूसरे विधानसभा चुनाव में ही मैदान में थी पहली महिला प्रत्याशी 

पहली महिला प्रत्याशी जितना मत 1980 तक नहीं ला सकी कोई अक्टूबर 2005 के चुनाव में मिली सफलता, बनी पहली विधायक

उपेंद्र कश्यप, जागरण ● दाउदनगर (औरंगाबाद) : आजादी के बाद से लेकर वर्ष 2020 तक कुल 18 बार बिहार विधानसभा के चुनाव हुए हैं। इस दौरान औरंगाबाद जिले के सभी विधानसभा क्षेत्र को मिलाकर कुल 31 बार महिला प्रत्याशियों ने विधायक बनने की कोशिश की। चुनावी मैदान में नारी शक्तियों ने अपनी महत्वाकांक्षा, अपना जोश दिखाया लेकिन सफलता मात्र एक बार मिली है। औरंगाबाद जिले से मात्र एक बार अक्टूबर 2005 के चुनाव में देव सुरक्षित सीट से रेणु देवी विधायक बनी। जदयू से जीती। इसके अलावा किसी महिला को सफलता नहीं मिल सकी। प्रथम चुनाव जब वर्ष 1951-52 में हुआ तो जिले के किसी विधानसभा सीट से कोई महिला प्रत्याशी मैदान में नहीं थी। 1957 के दूसरे चुनाव में नबीनगर विधानसभा क्षेत्र से सुरक्षित प्रत्याशी के रूप में शांति देवी बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरी। वे छठे स्थान पर रहीं। तब उन्हें 3.12 प्रतिशत यानी कल 2965 मत प्राप्त हुआ था। इतना मत 1980 तक कोई दूसरी महिला प्रत्याशी नहीं प्राप्त कर सकी। बाद में वर्ष 1962 से लेकर 72 तक हुए लगातार चार चुनाव में एक भी महिला प्रत्याशी मैदान में नहीं उतरी। वर्ष 1977 में नबीनगर में अवंतिका शास्त्री और रफीगंज में राधा रानी निर्दलीय प्रत्याशी उतरी। वर्ष 1980 में रफीगंज और औरंगाबाद से बतौर भाजपा प्रत्याशी राधा रानी सिंह चुनाव मैदान में थी और संयोग ऐसा रहा कि दोनों विधानसभा क्षेत्र में आठवें स्थान पर रही। रफीगंज में 181 और औरंगाबाद में 820 मत मात्र प्राप्त कर सकी। वर्ष 1985 में देव से चंपा देवी निर्दलीय और ओबरा से कुसुम देवी बतौर कांग्रेस प्रत्याशी मैदान में थी। तब चंपा देवी को मात्र 582 मत मिला था। कुसुम देवी को 13395 मत या 15.10 प्रतिशत मिला था और वह तीसरे स्थान पर रही। तब तक उन्हें सर्वाधिक मत मिला था। यही कुसुम देवी या कुसुम यादव वर्ष 1995 में पुनः ओबरा से कांग्रेस से ही प्रत्याशी बनी तो उन्हें मात्र 2645 वोट मिला। वर्ष 2000 और फरवरी 2005 में जिला में कोई महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं उतरी। वर्ष 2005 के अक्टूबर महीने में हुए चुनाव में देव सुरक्षित से रेणु देवी जीती। पहली बार महिला विधायक जिले को मिली। 36.24 प्रतिशत अर्थात कुल 32417 मत प्राप्त हुआ। इसी चुनाव में लोजपा से खड़ी कुसुम देवी को 11113 वोट प्राप्त हुआ। वर्ष 2010 में चार विस् क्षेत्र नबीनगर, गोह, कुटुंबा व रफीगंज से कुल पांच प्रत्याशी मैदान में थीं। 2015 में गोह, ओबरा, नबीनगर व रफीगंज से कुल छह प्रत्याशी और वर्ष 2020 के चुनाव में नबीनगर से दो और औरंगाबाद से एक महिला प्रयाशी चुनाव मैदान में उतरी। 



वर्ष- विस क्षेत्र- प्रत्याशी/पार्टी - प्राप्त मत

1957- नबीनगर- शांति देवी निर्दलीय- 2965 

1977- नबीनगर- अवंतिका शास्त्री निर्दलीय- 1478 

रफीगंज- राधा रानी सिंह निर्दलीय- 1303 

1980- औरंगाबाद- राधा रानी सिंह बीजेपी- 820 

रफीगंज- राधा रानी सिंह- बीजेपी- 181 

1985- देव- चंपा देवी निर्दलीय- 582 

1985- ओबरा- कुसुम देवी कांग्रेस- 13395 

1990- नबीनगर- विशेश्वरी देवी निर्दलीय- 48 

1990- औरंगाबाद- उषा कुमारी आईपीएफ- 8859 

1995- देव- सुमित्रा देवी बीजेपी- 3934 

1995- देव-फुलवा देवी निर्दलीय- 120 

1995- रफीगंज- लीला सिंह बीपीपी- 1708 

1995- ओबरा- कुसुम कुमारी यादव कांग्रेस- 2645 

1995- ओबरा- सावित्री देवी निर्दलीय- 157

2005 अक्टूबर- देव- रेणु देवी जदयू 32417 

2005 अक्टूबर-देव-कुसुम देवी लोजपा- 11113 

2005 अक्टूबर-गोह- उर्मिला देवी सीपीआईएमएल- 2878 

2010- नबीनगर-अर्चना चंद्र बीएसपी- 11850 

2010-गोह- निर्मला देवी एनसीपी- 777 

2010- गोह- कुमारी अनुपम सिंह जेएमबीपी- 1508 

2010-कुटुंबा- मनोरमा देवी बीएसपी- 3535 

2010-रफीगंज- माधवी सिंह कांग्रेस- 6273 

2015-गोह- रीता देवी निर्दलीय- 956 

2015-ओबरा- नीलम कुमारी एसपी- 1798 

2015-ओबरा- रिचा सिंह निर्दलीय- 1868 

2015-नबीनगर- श्वेता देवी एएचएफबीके- 569

2015-नबीनगर- मंजू देवी बीएसपी- 17106 

2015-रफीगंज- उषा देवी एसएसडी- 1260 

2020- नबीनगर- मालती देवी एसपीएल- 556 

2020- नबीनगर-संजू देवी निर्दलीय- 1589 

2020-औरंगाबाद- अर्चना देवी- पीएमएस- 1614



इन वर्षों में एक भी महिला प्रत्याशी नहीं 

वर्ष 1951-52 में हुए प्रथम चुनाव में एक भी महिला प्रत्याशी जिले के किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ी। ऐसी ही स्थिति वर्ष 1962, 1967, 1969 और 1972 के लगातार चार चुनाव में एक भी महिला किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ी। इसके अलावा वर्ष 2000 और फरवरी 2005 में हुए चुनाव में एक भी महिला प्रत्याशी जिले के किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में नहीं उतरीं।


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