Monday, 13 October 2025

सिर्फ मंच पर गूंजती है दाउदनगर को जिला बनाने की मांग



34 वर्ष हो गए अनुमंडल बने

17 वर्ष तक चला था संघर्ष

2020 चुनाव के वक्त भी बना था मुद्दा 

2006 में मिला अनुमंडल कार्यालय भवन

उपेंद्र कश्यप, जागरण ● दाउदनगर (औरंगाबाद) :  दाउदनगर को अनुमंडल बनाने के लिए 17 वर्षों तक संघर्ष चला था। अब इससे दोगुणा समयावधि 34 वर्ष हो गया इसे अनुमंडल बने हुए। डेढ़ दशक से दाउदनगर अनुमंडल के वर्तमान भूगोल को जिला बनाने की मांग जब तब उठते रही है। यह मांग प्रायः राजनीतिक मंचों पर उठती है। चुनावी वर्ष में भी गाहे बगाहे सांस्कृतिक या सामाजिक आयोजनों में भी इसकी मांग उठते रहती है। चुनाव के वक्त यह बड़ा मुद्दा बनता है। वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी मुद्दा बना था। चुनाव में इस मुद्दे की खूब चर्चा होती है। मतदाताओं में इसे लेकर गर्माहट भी महसूस होती है। चुनाव बाद इस मुद्दे को लेकर सब मौन साध जाते हैं। न जनता की तरफ से मांग होती है, ना किसी संगठन की तरफ से आंदोलन होता है और ना ही किसी राजनीतिक दल या जनप्रतिनिधियों की तरफ से इसे लेकर आंदोलन किया जाता है। इस बार भी विधानसभा चुनाव की गर्माहट बढ़ रही है तो यह मुद्दा लोगों के जेहन को झकझोर रहा है। 31 मार्च 1991 को दाउदनगर को अनुमंडल का दर्जा मिला था। तब विधिवत उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा बतौर क्षेत्रीय विधायक एवं कारा एवं सहायक पुनर्वास मंत्री रामविलास सिंह (अब स्वर्गीय) की उपस्थिति में किया गया था। प्रशासनिक इकाई के तौर पर यहां अनुमंडल ने कार्य करना शुरू कर दिया था। करीब 15 वर्षों तक अनुमंडल कार्यालय शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के पुराने भवन में चलता रहा और वर्ष 2006 में नया भवन बनकर तैयार हुआ तो अनुमंडल कार्यालय अपने नए भवन में चला गया। दाउदनगर अनुमंडल में चार प्रखंड (ओबरा, हसपुरा, दाउदनगर एवं गोह) आते हैं। दो विधानसभा क्षेत्र गोह और ओबरा है। इस अनुमंडल की आबादी वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार आठ लाख 28 हजार 87 है। कुल 69 पंचायत एवं 465 राजस्व ग्राम हैं। एक नगर परिषद क्षेत्र स्थित है। 




बढ़ रहा सुविधाओं पर बढ़ती जनसंख्या का दबाव

अनुमंडल में जो सुविधाएं हैं उसपर बढ़ती आबादी का दबाव बढ़ने लगा है। आवश्यक्ता के अनुसार संसाधनों का निर्माण सरकार नहीं करा पा रही है। शहरीकरण के साथ आबादी बढ़ने की गति तेज हुई है। वर्ष 2001 से 2011 के दशक में 27.89 फीसद रही, जबकि 1991 से 2001 के दशक में यह वृद्धि दर 25.77 रही थी। 2001 की जनगणना के अनुसार अनुमंडल के सभी चार प्रखंड गोह, हसपुरा, ओबरा और दाउदनगर की कुल आबादी 776987 है। इसके अतिरिक्त नगर पंचायत की आबादी 52340 है। अर्थात कुल 829329 है। इसमें ओबरा की 226379, दाउदनगर की 154225, हसपुरा की 160475 एवं गोह की 235908 और नगर पंचायत की आबादी 52340 है। ध्यान दें 1991 में दाउदनगर प्रखंड से अनुमंडल बना था। तब इसकी आबादी 515596 थी। 1991 में नगरपालिका क्षेत्र की आबादी 30331 थी जो 2001 में बढ़कर 38014 हो गई। और 2011 में 52340 है। यानी 1991-2001 के दशक में 25.33 फीसद वृद्धि हुई। 

2001-2011 के दशक में यह वृद्धि दर रही 37.68 फीसद रही।



जनसंख्या वृद्धि का कारण विकास 


आने वाले दशकों में जनसंख्या वृद्धि से विकास को होड़ लेने की आवश्यकता होगी। अनुमंडल बनने के समय नक्सलवादी गतिविधियां क्षेत्र में चरम पर थीं। इस कारण पिछडे़ इस इलाके में शिक्षा और प्रशासनिक विकास की गति तेज हुई तो ग्रामीण इलाके से बड़ी आबादी नये बने और खुद को गढ़ने में व्यस्त रहे शहर की ओर आयी। इससे शहरी क्षेत्र की आबादी काफी बढ़ी। जब जेल, न्यायालय बने, कई प्रतिष्ठित स्कूल खुले, शिक्षा का स्तर गत दशक की अपेक्षा काफी ऊंचा हुआ तो आबादी भी बढ़ी। बाजार का विस्तार हुआ। विभिन्न योजनाओं और सरकार की बदली प्राथमिकताओं ने विकास को गति दी तो ग्रामीण शहर में बसने को आकर्षित हुए और फिर नए बसावट वाले क्षेत्र के साथ जनसंख्या भी बढ़ती गयी। 



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