Thursday, 9 October 2025

जब जदयू के लिए ओबरा में किया दो प्रत्याशियों ने नामांकन

पटना से आये एक प्रत्याशी ने लिया नाम वापस

दूसरे प्रत्याशी ने सिंबल के साथ अंतिम दिन किया नामांकन

उपेंद्र कश्यप, जागरण ● दाउदनगर (औरंगाबाद) : वर्ष 2010 का बिहार विधानसभा चुनाव ओबरा के लिए विशेष रहा है। अक्टूबर 2005 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में 23315 मत लाकर तीसरे स्थान पर रहने वाले जदयू प्रत्याशी प्रमोद सिंह चंद्रवंशी की जगह निरंजन कुमार पप्पू ने नामांकन किया। प्रचार यह हुआ कि नीतीश कुमार की विशेष कृपा पर जदयू से टिकट पर ओबरा विधानसभा क्षेत्र से वही चुनाव लड़ेंगे। तब व्यवस्था यह थी कि नाम वापसी के दिन तक पार्टी का सिंबल जमा किया जा सकता है। बिना सिंबल के ही निरंजन कुमार पप्पू ने नामांकन कर दिया। नामांकन के अंतिम दिन प्रमोद सिंह चंद्रवंशी अचानक आनन फानन में पार्टी सिंबल लेकर आए और नामांकन कर दिया। अब व्यवस्था बदल गई है। अब नामांकन के साथ ही पार्टी का सिंबल देना आवश्यक होता है। प्रमोद सिंह चंद्रवंशी बताते हैं कि तब कई नेता ऐसे थे, जिन्होंने निरंजन कुमार पप्पू को जदयू का सिंबल मिलने का आश्वासन देकर नामांकन करवा दिया था। श्री सिंह बताते हैं कि जदयू का सिंबल निरंजन कुमार पप्पू को मिला नहीं था, इसलिए उन्होंने नाम वापस ले लिया। अगर नाम वापस नहीं लेते तो निर्दलीय लड़ना पड़ता। राजनीतिक परिस्थितियों के कारण उनके सामने नाम वापसी के अलावा कोई विकल्प नहीं था शायद। ओबरा विधानसभा चुनाव के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था और न ही इस घटना के बाद ही हुआ। किसी पार्टी से दो-दो प्रत्याशी ने नामांकन कर दिया हो और एक को नाम वापस इसलिए लेना पड़ा हो कि उसे पार्टी ने सिंबल नहीं दिया ऐसा पहली बार हुआ था।



मात्र 802 मत से हर प्रमोद 



वर्ष 2010 के चुनाव में ओबरा थाना अध्यक्ष रहे सोमप्रकाश निर्दलीय चुनावी मैदान में थे। राजद से सत्यनारायण सिंह थे जो तत्कालीन विधायक थे। निर्दलीय सोम प्रकाश 36816 वोट लाकर चुनाव जीत गए। प्रमोद सिंह चंद्रवंशी जदयू के प्रत्याशी रहते 36014 वोट लाने में सफल रहे और 802 वोट से हार गए। बिहार में जब एनडीए का लहर था तब इतने कम वोट से प्रमोद सिंह चंद्रवंशी की हार पार्टी और खुद श्री चंद्रवंशी के लिए किसी बड़े आघात से कम नहीं था। इस चुनाव में सत्यनारायण सिंह को मात्र 16851 मत मिला था और वे चौथे स्थान पर चले गए थे। तीसरे स्थान पर 18461 मत के साथ भाकपा माले प्रत्याशी राजाराम सिंह थे।


हो गई थी जीत की घोषणा 


2010 का चुनाव इस मामले में भी खास था कि न्यूज चैनलों पर प्रमोद सिंह चंद्रवंशी को विजेता घोषित कर दिया गया था। दाउदनगर में जश्न मनाया जाने लगा और अचानक पता चला कि वे चुनाव नहीं जीत सके हैं। अंतिम तौर पर निर्दलीय प्रत्याशी सोम प्रकाश सिंह 802 वोट से जीत गए हैं।


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