कांग्रेस की लहर में समाजवाद की धरती पर मिली थी पहली हार
समाजवादी राम नरेश सिंह ने किया था पराजित
उपेंद्र कश्यप, जागरण ● दाउदनगर (औरंगाबाद) : वर्ष 1948 से 1960 तक गया जिला परिषद के अध्यक्ष रहे शत्रुघ्न शरण सिंह को वर्ष 1952 के प्रथम चुनाव में समाजवादी रामनरेश सिंह से हारना पड़ा था। उनको यह हार दाउदनगर विधानसभा क्षेत्र में मिली थी। हालांकि अब दाउदनगर विधानसभा क्षेत्र का वजूद नहीं है। यह ओबरा विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है। कांग्रेस की लहर में यह हार मिली और इसका उनके राजनीतिक कद पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा था। आजादी के तत्काल बाद लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हो रहे थे। ऐसे में यह कोई मान ही नहीं रहा था कि शत्रुघ्न शरण सिंह जैसा कद्दावर व्यक्ति चुनाव हार जाएंगे। तब इनके सामने खड़े थे रामनरेश सिंह सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी थे और चुनाव चिन्ह था बरगद छाप। बाबू अमोना के निवासी और राजधानी में रहकर बीते चार दशक से राजनीति कर रहे सुधीर शर्मा बताते हैं कि रामनरेश सिंह से शत्रुघन शरण सिंह की हार लोगों को चौंका गई। यह कोई सोच ही नहीं पा रहा था कि उनकी भी हार होगी। इस हार से श्री सिंह को काफी राजनीतिक क्षति हुई। नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस से उन्हें 1957 और 1962 में टिकट ही नहीं दिया। कांग्रेस ने फिर उन्हें 1967 में हिलसा से टिकट दिया और वह चुनाव जीत गए। फिर वहां से वे लगातार 1969 और 1972 में भी जीते। मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री वे कई बार रहे। वर्ष 1977 में चुनाव नहीं लड़े और 1980 में फिर बेलागंज से उन्होंने चुनाव लड़ा।
स्वतंत्रता सेनानी थे शत्रुघ्न शरण सिंह
शत्रुघ्न शरण सिंह और उनकी पत्नी राजकुमारी देवी दोनों स्वतंत्रता सेनानी थे। श्री सिंह को काला पानी की सजा हुई थी। सुधीर शर्मा ने बताया कि जम्होर ट्रेन लूट कांड के मुख्य सूत्रधार में भी वे शामिल थे। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कई घटनाओं को उन्होंने अंजाम दिया था। मूलत: कोच प्रखंड के सिदुआरी गांव के निवासी थे और जाति से भूमिहार थे।
राह चलते बना देते थे शिक्षक
सुधीर शर्मा बताते हैं कि काफी शक्तिशाली और पहुंच पैरवी वाले नेता थे शत्रुघ्न शरण सिंह। वे राह चलते कई लोगों को शिक्षक बना दिए। बताया कि शिकारी जाति के एक व्यक्ति रामस्वरूप शिकारी को उन्होंने चुनाव हारने के बाद शिक्षक की नौकरी दिलवाई। श्री शिकारी उनके लिए चुनाव प्रचार करते थे। 1952 के चुनाव में हार जाने के बावजूद उन्हें शिक्षक बना दिए थे।
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