राजद के ऋषि कुमार के पास दुबारा एमएलए बनने का अवसर
सबसे अधिक तीन बार जीते हैं रामविलास सिंह
उपेंद्र कश्यप, जागरण ● दाउदनगर (औरंगाबाद) : ओबरा विधानसभा क्षेत्र का वर्ष 2025 में 17वां आम चुनाव है। इससे पहले 16 बार चुनाव हो चुके हैं। वर्ष 1957 में ओबरा का वजूद नहीं था और वर्ष 1962 में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था। जिससे तब दिलकेश्वर राम चुनाव जीते थे। सभी चुनाव का अगर विश्लेषण करें तो दूसरी बार जीत का सेहरा मात्र चार व्यक्तियों के सिर बंधा है। वर्ष 1952 में यहां के विधायक रहे पदारथ सिंह 1957 में ओबरा का वजूद खत्म होने के कारण नहीं लड़े, जबकि 1962 में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गया था। 1967 में वह चुनाव लड़कर हार गए। तब रघुवंश कुमार सिंह यहां से विधायक बने। लेकिन 1969 में पदारथ सिंह पुन: विधायक बन गए। इसके बाद 1972 में नारायण सिंह विधायक बने। लेकिन 1977 में चुनाव हार गए। 1977 के चुनाव में रामविलास सिंह चुनाव जीते। वे इस क्षेत्र से तीन बार विधायक रहे हैं। हालांकि 1980 में वीरेंद्र प्रसाद सिंह से हार गए थे। बीरेंद्र प्रसाद सिंह 1980 में विधायक बने। लेकिन 1985 में हार गए। बाद में वह हारते हुए राजनीति से दूर हो गए। 1985 और 1990 में फिर रामविलास सिंह जीते। वर्ष 1995 और 2000 के चुनाव में राजाराम सिंह जीते। उनके राजनीतिक उत्थान के साथ रामविलास सिंह का राजनीतिक पतन होता गया और लगातार रामविलास सिंह 1995 और 2000 में दूसरे स्थान पर रहे। लेकिन 2000 में वह निर्दलीय चुनाव लड़कर अपनी जमानत नहीं बचा सके और उसके बाद फिर राजनीति में कभी नहीं दिखे। तब राजद ने राम नरेश सिंह को टिकट दिया था। इसी कारण वे निर्दलीय लड़े थे। वर्ष 2005 के फरवरी में जब चुनाव हुआ तो सत्यनारायण सिंह यहां से चुनाव जीते लेकिन उनको कोई काम करने का मौका नहीं मिला। इस कारण उनके खिलाफ कोई विरोधी स्वर नहीं था। नतीजा अक्टूबर में हुए फिर चुनाव में जीत गए। इसके बाद 2010 में चुनाव हार गए तब निर्दलीय सोम प्रकाश सिंह चुनाव जीते और ओबरा विधानसभा क्षेत्र में यह पहली घटना थी, जब कोई निर्दलीय चुनाव जीत गया हो। तब प्रमोद सिंह चंद्रवंशी दूसरे स्थान पर थे। दोबारा कभी जीतने की तो बात छोड़िए उपविजेता भी सोम प्रकाश सिंह नहीं बन सके, जबकि वह लगातार चुनाव लड़ते रहे हैं। इस बार भी चुनावी मैदान में वे हैं। वर्ष 2015 के चुनाव में वीरेंद्र कुमार सिंह चुनाव लड़े, जीते, लेकिन इनको फिर दोबारा मौका ही नहीं मिला। वे निर्दलीय भी नहीं लड़े। वर्ष 2020 में ऋषि कुमार चुनाव जीते और 2025 में फिर से राजद से ही चुनाव मैदान में हैं। उनके पास दुबारा जीतने का अवसर है। क्या वह दोबारा जीत का सेहरा बांध सकेंगे, यह चुनाव परिणाम बताएगा।












