Thursday, 20 November 2025

जबरन नैरेटिव सेट करने और आक्रामक मिजाज की हार



जनता का मनोविज्ञान नहीं समझ सके विरोधी 

दशमलव वाली जातियों ने बदल दिया पूरा खेल 

उपेंद्र कश्यप, जागरण ● दाउदनगर (औरंगाबाद) : ओबरा से एनडीए जीत गया जबकि उसे हराने के लिए हर प्रकार का भला बुरा कार्य विरोधियों ने किया। इंटरनेट मीडिया पर गालियां लिखी गई। खुला चैलेंज किया गया कि किसी कीमत पर ओबरा से एनडीए नहीं जीत सकता। महागठबंधन समर्थक 50 से 60000 वोट से जीतने का दावा कर रहे थे। वोटिंग से कुछ घंटे पहले हाथ में लालटेन लिए एनडीए के प्रत्याशी प्रकाश चंद्र की तस्वीर इंटरनेट मीडिया पर वायरल की गई और कहा गया कि उन्होंने भी हार मान ली। महागठबंधन के प्रत्याशी ऋषि कुमार का समर्थन कर दिया। प्रकाश चंद्र को घृणा भाव से देखने वाले कुछ लोग जबरदस्ती नैरेटिव सेट कर रहे थे।  जनता ने चुपचाप जवाब दे दिया। जनता को पता है कि प्रकाश चंद्र को गलियाने वाले अपनी जाति के लोगों की प्रशंसा करते हैं। आक्रामक जातिवाद लोगों को गोलबंद करने में सफल रहा। जन सुराज के प्रत्याशी सुधीर शर्मा ने लिखा- “ओबरा में कुछ लोग उल्टी गंगा बहाना चाहते थे, प्रकाशचंद्र और मुझे दोनों को हराना चाहते थे। प्रकाशचंद्र की जीत उन्हीं लोगों को समर्पित। जनता के मनोविज्ञान की सामान्य समझ भी ऐसे लोगों को नहीं थी। इन्होंने लिखा कि ऐसे लोगों को आगाह किया था।” लेकिन माना जाता है कि नफरत जब कोई किसी से करता है तो उसे कुछ भी अच्छा नहीं दिखता। एनडीए के कुनबे में यह बात घर बैठ गई थी कि अबकी नहीं तो कहियो नहीं। दूसरी तरफ एक प्रतिशत से कम संख्या वाली जातियां चुपचाप हेलीकाप्टर पर चढ़ गए। उन्हें आक्रामकता स्वीकार्य नहीं थी, और भय ने एकजुट कर दिया। उन्हें यह विश्वास था कि एनडीए के प्रत्याशी प्रकाश चंद्र से  जातिवाद या आक्रामक होने का खतरा नहीं है। उल्टे प्रकाश चंद्र के दिए गए वचन इन लोगों में आशा जगा गया। इनका ध्रुवीकरण उनके पक्ष में हो गया और नतीजा सबके सामने है। एनडीए ओबरा से 12013 वोट से जीत गयी।



रणनीति के तहत जनसभा नहीं


विधानसभा चुनाव का प्रत्याशी आम तौर पर अपने दल और गठबंधन के बड़े नेताओं को अपने विधानसभा क्षेत्र में बुलाता है और जनसभा का आयोजन करवाता है। रोड शो करवाता है। जिला में अन्य विधानसभा क्षेत्र में ऐसा हुआ। लेकिन ओबरा विधानसभा क्षेत्र इस मामले में एक हद तक अपवाद रहा। सिर्फ एक चुनावी सभा एनडीए की हुई। लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के सुप्रीमो और केंद्र में मंत्री चिराग पासवान की सभा ओबरा में हुई। इसके अलावा एनडीए के किसी दल के नेता को यहां नहीं बुलाया गया  लोगों को लग रहा था कि नीतीश कुमार, सम्राट चौधरी, उपेंद्र कुशवाहा, विजय सिंहा समेत अन्य नेताओं को ना बुलाना भारी पड़ सकता है। लेकिन चुनाव परिणाम जब आया तो स्पष्ट हो गया कि ना बुलाने की रणनीति भी सफल रही। पिछले चुनाव में डा. प्रकाश चंद्र ने अमीषा पटेल को बुलाया था। तब हुई उनकी हार की कई वजहों में एक वजह सेलेब्रेटी का रोड शो भी माना गया था। इसलिए इस बार उन्होंने खुद ही अधिकतम गांव और घरों को संपर्क किया और उपेंद्र कुशवाहा सायन कुणाल, सुनील पांडे जैसे नेता चिन्हित गांवों में जनसंपर्क किये लेकिन बड़ी सभा नहीं किया। यह सब एक रणनीति के तहत किया गया था जिसे अब कामयाब माना जा रहा है।




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