Sunday, 2 November 2025

दूसरे चुनाव में ही मुस्लिम विधायक लेकिन फिर सन्नाटा

  


1977 के चुनाव से नहीं बना कोई मुस्लिम प्रत्याशी 

1967 के बाद से ओबरा से कोई मुस्लिम प्रत्याशी नहीं

न दलों ने दिया भाव न खुद हिम्मत जुटा सके अल्पसंख्यक 

आखिरी बार एनओसी से महत्वपूर्ण प्रत्याशी थे शम्सुल हक

उपेंद्र कश्यप, जागरण ● दाउदनगर (औरंगाबाद) : दाउदनगर और ओबरा दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र 1952 से लेकर 1972 के चुनाव तक रहे। इसके बाद नए सिरे से परिसीमन हुआ और 1977 से दाउदनगर विधानसभा क्षेत्र का वजूद समाप्त हो गया। दाउदनगर विधानसभा क्षेत्र से 1957 में हुए दूसरे बिहार विधानसभा चुनाव में सईद अहमद कादरी विधायक बने। वे इंडियन नेशनल कांग्रेस के प्रत्याशी थे। उनको 40.79 प्रतिशत अर्थात कुल 10316 मत प्राप्त हुआ था। उन्होंने 1952 में हुए प्रथम चुनाव में विधायक बने रामनरेश सिंह को हराया। इस सईद अहमद कादरी का संबंध कारा ईस्टेट से रहा है। इसके बाद दाउदनगर और ओबरा विधानसभा क्षेत्र से कोई विधायक नहीं बना। स्थिति इतनी बदतर रही कि कोई दूसरे स्थान पर भी नहीं रहा। किसी महत्वपूर्ण दल ने मुस्लिम प्रत्याशी नहीं दिया। शायद उनके जीतने की संभावना कम होने की समझ ने राजनीतिक दलों को ऐसा करने पर मजबूर किया। निर्दलीय भी मुस्लिम प्रत्याशी इक्का-दुक्का ही आए। कभी कोई ऐसा मुस्लिम प्रत्याशी भी नहीं दिखा जो मुख्य प्रत्याशियों को चुनौती दे सके। दाउदनगर विधानसभा क्षेत्र से ही 1967 में स्वतंत्र पार्टी से जेड एच खान चुनाव लड़े और वह सबसे अंतिम स्थान पर यानी नौवें स्थान पर रहे। उनको मात्र 620 मत प्राप्त हुआ। दाउदनगर विधानसभा का अंतिम चुनाव 1972 में हुआ था। उसके बाद नए परिसीमन के कारण 1977 में हुए चुनाव में इसका वजूद खत्म हो गया। ओबरा प्रखंड से जुड़कर दाउदनगर ओबरा विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा बन गया। इस अंतिम चुनाव में दाउदनगर के चिकित्सक डा. शम्सुल हक पर इंडियन नेशनल कांग्रेस आर्गेनाइजेशन ने दाव खेला। महत्वपूर्ण है कि कांग्रेस का विभाजन होने के बाद बनी इस पार्टी का यह पहला चुनाव था। शम्सुल हक तीसरे स्थान पर रहे। उनको 11983 मत प्राप्त हुआ। इससे पहले ओबरा विधानसभा क्षेत्र से 1967 में हुए चुनाव में एसएएस कादरी निर्दलीय चुनाव लड़े थे। वह तीसरे स्थान पर रहे। तब उनको मात्र 5889 मत प्राप्त हुआ। इसके बाद से ओबरा विधानसभा क्षेत्र से कोई मुस्लिम प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में नहीं आया।




14 प्रतिशत वाली आबादी हाशिये पर


ओबरा विधानसभा क्षेत्र में 14 प्रतिशत मुस्लिम आबादी रहती है। लेकिन इस समुदाय से अब तक मात्र एक व्यक्ति का विधायक बनना और और मात्र तीन व्यक्ति का चुनाव लड़ना बताता है कि 78 वर्ष के इतिहास में मुसलमान के साथ राजनीतिक दलों ने छल किया। किसी राजनीतिक दल ने मुसलमानों पर भरोसा नहीं किया और ना ही कोई मुसलमान नेता उभर सका, जो अपने दम पर चुनाव लड़ने का साहस कर सके। वर्ष 2011 में हुई जनगणना के अनुसार ओबरा प्रखंड में 14.82 प्रतिशत, दाउदनगर नगर परिषद क्षेत्र में 18.78 प्रतिशत और दाउदनगर प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्र में 8.11 प्रतिशत मुस्लिम आबादी रहती है। विधानसभा के स्तर पर देखें तो यह औसत 14 प्रतिशत की आबादी है। लेकिन राजनीति में अल्पसंख्यक समुदाय की भागीदारी का शोर चाहे जितना हो इन्हें लेकर कोई गंभीर नहीं दिखता।



इस बार एक मुस्लिम प्रत्याशी

ओबरा विधानसभा क्षेत्र के लिए अब तक 16 बार चुनाव हो चुका है। जबकि दाउदनगर विधानसभा क्षेत्र के लिए कुल छह बार चुनाव हुआ है। इस बार ओबरा विधानसभा क्षेत्र के लिए जब सत्रहवां चुनाव हो रहा है तो मोहम्मद तौफीक आलम निर्दलीय चुनाव मैदान मे हैं। 


No comments:

Post a Comment