मौलाबाग सूर्य मन्दिर और उसमें बना स्नानागार
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पोखरा में स्नानागार की सुविधा
अंवेषण की अभी भी है जरुरत
मौलाबाग में
सूर्यमन्दिर और पोखरा का निर्माण कम से कम डेढ सौ साल पूर्व हुआ होगा। सूर्यमन्दिर
न्यास समिति के सचिव डा.संजय
कुमार सिंह बताते हैं कि बांके अग्रवाल ने तब बनवाया था। ऐसा सुना जाता है। इसकी
पुष्टी नहीं की जा सकी है। इनकी
तीसरी पिढी के वंशज यहां बाजार में और वाराणसी में रहते हैं। पोखरा में ही स्नानागार बनवाया हुआ है।
यह तत्कालीन समाज की सोच और उसकी आवश्यकता की पूर्ति की तलाश का तरीका बताता है।
पोखरा के बीच में प्रस्तर का एक स्तंभ है। जिसके ललाट पर शिवलिंग और ओइम की आकृति बनी हुई है। पूर्वी किनारे पर जुडवां स्नानागार बना हुआ है। तब
समाज के पास स्नान करने का यह बेहतर विकल्प होगा। पोखरा में बने स्नानागार में
उतरकर स्त्रियां स्नान भी कर लेती होंगी और कपडे भी बदल लेती थीं। उन्हें लोकाचार
को लेकर तब तनाव का सामना नहीं करना पडता होगा क्योंकि खुद को छुपाने की प्रयाप्त
जगह यह थी। सूर्यमन्दिर को कई चरण में कालांतर में मरम्मत भी हुआ होगा। फिलहाल इस
मन्दिर को लेकर कुछ भी स्पस्ट प्रमाणिक इतिहास ज्ञात नहीं है। बिहार राज्य धार्मिक
न्यास बोर्ड ने
कुछ साल पहले ही इसे अपनी सूची में शामिल किया है। उसे इसका अंवेषण कराना चाहिए।,
ताकि कोई स्पष्ट जानकारी प्राप्त हो सके। वर्तमान और आने वाली पिढी के लिए यह
आवशयक है। यहां छठव्रतियों की भीड खूब होती है।
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