भगवान भास्कर की प्रतिमा
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जानिए कौन हैं भगवान भाष्कर ?
साक्षात देव सूर्य विश्व को सिर्फ अलोकित हीं नहीं करते बल्कि कर्म के लिए प्रेरित
करते हैं। सूर्य षष्ठी व्रत के माहौल में यह जानना प्रासंगिक है कि सूर्य कौन हैं।
हम रोज प्रात: जिनके आगमन की आहट (उदय) से जागते हैं, और जिनके जाने (अस्त) के साथ विश्रम की ओर जाते हैं,
वह सिर्फ प्रकाश देने वाला ही नहीं बल्कि और भी महत्व है। यह सिर्फ
हिंदू संस्कृति के वांडमय में ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक शोध भी ऐसा मानता है।
फिलहाल गुनगुनाती धूप का आनंद ही नहीं मिलता, बल्कि इसका
शरीर पर खास लाभकारी असर होता है जो जीवन को ऊर्जान्वित करने के साथ स्वास्थ्य
प्रदान करता है।
कर्म करने का ज्ञान
देते हैं सूर्य
पंडित आचार्य लालमोहन शास्त्री बताते हैं
कि विश्व के उत्पन्नकर्ता, नेत्र और जीवों को कर्म
करने के लिए ज्ञान भी सूर्य ही देते हैं। आर्यो के इस देवता का निरंतर ध्यान और
पूजन करना चाहिए। वेद में आदित्य (सूर्य का एक नाम) को प्राण और आत्मा कहा गया है।
आंखों को सूर्य माना गया है यथा - ‘पात्रु मां विश्व चक्षु:
चक्षु सूयरेरजायत।’ समस्त संसार के मानव को कर्म करने को
प्रेरित करने वाले देवता हैं ये।
कश्यप अदिती के
पुत्र हैं सूर्य
भगवान भास्कर कश्यप अदिती के पुत्र हैं। जिनकी
दो पत्नी संज्ञा और छाया है। संज्ञा विश्वकर्मा की पुत्री है जो अपनी प्रतिबिंब
छाया को छोड़कर मैके (नैहर) चली गई। इन दोनों से वैव स्वतमनु, यमराज, यमुना, अश्विनी कुमार और शनि इत्यादि संतान हैं। इसलिए इनकी उपासना में नित्य
सूर्य की पूजा, गायत्री मंत्र जाप, अघ्र्य
एवं दंडवत करना चाहिए।
प्रत्यक्ष लाभ देत
हैं सूर्य
आप ‘सूर्य नमस्कार’ या इसी तरह के कई योग प्रकार बाबा
रामदेव के योग में देख सकते हैं। अन्य देवताओं से होने वाले लाभ पर सवाल भले उठाया
जाता हो, लेकिन इस साक्षात देव से प्राप्त लाभ प्रत्यक्ष
दिखता है। अब तो गांव गांव सूर्य मंदिर बनाये जा रहे हैं। भव्य प्रतिमाएं लगाई जा
रही है। प्राचीन काल के सूर्य मंदिरों में सूर्य प्रतिमाएं नहीं है। श्री शास्त्री
का कहना है कि जो प्राचीन प्रतिमाएं हैं वे संग्रहालय में हैं। गांवों में इनकी
महिमा बढ़ रही है। नतीजा सूर्य षष्ठी व्रत का प्रसार सुदूर देहात तक हो रहा है।
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