रविवार का
दिन शहर के लिए सुपर संडे साबित होने वाला है। यहां दो बडे आयोजन होने हैं। मेसो
संचालित महर्षि दयानन्द सरस्वती पुस्तकालय जहां ज्ञानी का चुनाव करेगा वहीं दाउदनगर डाट इन आवाज के जादूगर का चुनाव करेगा। शहर में दोनों आयोजनों को लेकर
जिज्ञासा है, प्रतीक्षा है और तैयारी चल रही है।
शिक्षा का संवाहक है महर्षि दयानंद
सरस्वती पुस्तकालय। इसलिए इससे जुडी एक सचित्र रिपोतार्ज---
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कार्यक्रम का संचालन करते हुए |
महर्षि दयानंद सरस्वती ने शिक्षा के
प्रसार के लिए समाज एवं संस्थानों को अह्वाहन किया था। इन्हीं के नाम पर महर्षि
दयानंद सरस्वती पुस्तकालय 25 सितम्बर 1989 से जनसहयोग के बल पर चल रहा है। मगध
एजुकेशनल एंण्ड सोशल और्गनाइजेशन के तहत पुस्तकालय का संचालन विस्थापन के दर्द को
सहते हुए हो रहा है। कई बार विस्थापित होने के बाद इसे नगरपालिका मार्केट की छत पर
अस्थाई निर्माण की अनुमति 21 फरवरी 2007 को मिली थी। जनसहयोग और पुस्तकालय के
प्रति जीवन समर्पित कर चुके गोस्वामी राघवेन्द्र नाथ के कारण बड़ा कमरा बनाया जा
सका। यहीं पुस्तकालय चल रहा है। राजनीति और व्यक्तिक संबधों की वजह से इस कमरे को
अवैध निर्माण बता कर तोड़ने का आदेश एक कर्मी की ओर से संस्था के सचिव उपेन्द्र
कश्यप को मिला। जब इसके लाभुकों से वार्ता की तो सबने कहा कि इसे तोड़ा न जाये, हर संभव संघर्ष करेंगे।
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तत्कालीन जेल अधीक्षक सत्येन्द्र कुमार पुरस्कार बांटते हुए |
इसके बाद सचिव ने एक पत्र नगर
पंचायत को दिया कि निर्माण जन सहयोग से तब हुआ था जब भूख हड़ताल के बाद तत्कालीन
अध्यक्ष सावित्री देवी ने प्रशासनिक पहल पर निर्माण का मौखिक आदेश दिया था। यदि
नगर पंचायत को यह आवश्यक लगता है कि इसे तोड़ा जाना चाहिए तो वह खुद अपने संसाधन से
इस पुस्तकालय को तोड़ दे। तोड़ने के लिए जनता से चंदा पुस्तकालय के लाभुक नहीं
करेंगे। मामला शांत हो गया। नगर पंचायत ने भूमि आवंटित करने का आश्वासन दिया था,
जिसके बाद आवेदन दिया गया। इंतजार सबको है कि कब भूमि का आवंटन हो
पाता है।
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भूख हडताल तुडवाते तत्कालीन नप अध्यक्ष सावित्री देवी |
यहां करीब 20000 से अधिक पुस्तकें उपलब्ध हैं। सभी समाचार पत्र, सभी प्रतियोगी पुस्तकें, आवश्यक पुस्तकें छात्रों को
कम शुल्क पर उपलब्ध कराया जाता है। वास्तव में दयानंद सरस्वती के मार्ग पर चलने का
काम यहां के युवाओं ने तब किया था। सीताराम आर्य, कृष्णा
कश्यप, महेन्द्र कुमार पिंटु, अवधेश
कुमार, संतोष केशरी, कृष्णा ठाकुर,
मिथलेश सिंहा, लव कुमार केशरी, संजय कुमार एवं अन्य उत्साही युवाओं ने यह पहलकदमी ली थी, जो आज शहर को एक नई दिशा दे रहा है। पढ़्ने का इतना बेहतर माहौल कहीं अन्यत्र
नहीं मिलता। एक हजार सदस्य हैं, हांलाकि नियमित सदस्यों की
संख्या लगभग 100 ही है। श्री गोस्वामी का
लक्ष्य है इसे आधी आबादी तक सुलभ कराना। स्थान उचित नहीं होने के कारण यहां
छात्राएं नहीं आ पातीं। यह तभी संभव होगा जब स्थान बदल जाए।
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पुरस्कार देते डा.पुष्पेन्द्र कुमार |
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पुरस्कार देते तत्कालीन एसडीओ कमल नयन |
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