जल यातायात व नहर निर्माण की पेंटिंग
|
विकास चौधरी ने डाक्युमेंट्री के लिए बनायी 22
पेंटिंग
इतिहास को रंगों से जीवंतता देने की हुई कोशिश
जिउतिया लोकोत्सव को
गुरुवार को नयी उंचाई मिली। धर्मवीर फिल्म एंड टीवी प्रोडक्शन के बैनर तले ‘द सोल
आफ कल्चरल सिटी दाउदनगर’ रिलिज की गयी। इसमें कुल 22 पेंटिंग का इस्तेमाल किया गया
है। पेंटिंग के माध्यम से डाक्युमेंट्री में धर्मवीर भारती ने शहर के इतिहास को दिखाने
का प्रयास किया है। दाउदनगर का ज्ञात इतिहास औरंगजेब के सिपहसालार दाउद खां कुरैशी
से प्रारंभ होता है। वैसे कुछ लोग इसे भगवान श्रीकृष्ण के अग्रज बलदाउ से जोडते
हैं। इसकी भी चर्चा इस डाक्युमेंट्री में की गयी है। नहर की खुदायी और नहर मार्ग
से जल यातायात का प्रारंभ शहर के लिए क्रांतिकारी बदलाव का दौर था। इसने इसे चट्टी
और फिर कस्बे के रुप में पहचान दिलायी। ‘श्रमण संस्कृति का वाहक दाउदनगर’ कितब ने
जहां जिउतिया संस्कृति का व्यापक शब्दचित्र गढा वहीं इस डाक्युमेंट्री ने उसे लाइव
देखने का अवसर प्रदान किया। इस डाक्युमेंट्री में विकास चौधरी ने अपनी पेंटिंग के
माध्यम से रंग का सौन्दर्य दिया है। इससे डाक्युमेंट्री की व्यापका तो बढी ही खुद
भारती की गंभीरता भी परिलक्षित होती है। इतिहास को जीवंत बनाने का भी यह माध्यम
बना।
फाइन आर्ट में नाम कमाना विकास का लक्ष्य
पेंटिंग बनाते विकाश चौधरी |
डाक्युमेंट्री में इतिहास को
रंग व कूची से जीवंत बनाने वाले विकास चौधरी वार्ड संख्या 19 निवासी कृष्णा चौधरी
के पुत्र हैं। विद्या निकेतन में पढते हुए इस स्नातक में अध्ययनरत ने जिला में
आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में प्रथम स्थान तब हासिल किया था जब वह आठवीं का
छात्र था। उसने ‘दैनिक जागरण’ को बताया कि वह बीएचयु वाराणसी से फैन आर्ट का कोर्स
कर नाम कमाना चाहता है। बताया कि जब स्कूल में हैंडवर्क दिया जाता था तभी बेहतर
चित्रकला बनाने की रुचि जगी। मैट्र्क के बाद पेंटिंग करना बन्द कर दिया। यहां
रंगकर्म की संस्था प्रबुद्ध भारती से जुडा। मित्रों की सलाह पर संस्थ के लिए बैनर
बनाया जिसमें पेंटिंग के माध्यम से अपनी कला को अभिव्यक्ति दी। जब जिउतिया पर
डाक्युमेंट्री बनने लगी तो धर्मवीर भारती ने संजय तेजस्वी के माध्यम से संपर्क
किया। धीरे-धीरे 22 पेंटिंग बनाया। श्री भारती ने बताया कि पटना में रहकर करीब एक
महीने में सारा चित्र बनाया। इसके लिए ‘श्रमण संस्कृति का वाहक-दाउदनगर’ पुस्तक पढ
कर कल्पना ले सहारे पेंटिंग बनायी। बताया कि हेरिटेज आफ मगध के अन्य डाक्युमेंट्री
के लिए भी विकास ही पेंटिंग करेंगे।
जिन चित्रों ने किया आकर्षित
विकास के सभी 22 पेंटिंग
काबिले-तारीफ हैं। इसमें कई काफी आकर्षक हैं। इसे देखने से ही इतिहास का ज्ञान बोध
हो जाता है। दाउद खां कुरैशी की पेंटिंग भी कल्पन अके आधार पर बनाया है। इसके अलवा
नहर की खुदाई, इसमें नौका यात्रा, यहां नुकलने वाले नकल यथा सुल्ताना डाकु, गोकुल
चोर, मुडकटवा, डाकिनी, ब्रह्म, अद्भुत मानव, लोहे के गर्म जंजीर को दुहता मानव,
राजा-रानी, दममदाड, लैला-मजनु, लालदेव-कालादेव, जिउतिया की चील व सियार की कथा,
राजा जीमूतवाहन और गरुड की कथा को रंगों के मध्यम से अभिव्यक्त किया है।
बच्चों के उत्साह से खिलता है रंग
जिउतिया लोकोत्सव में बच्चों की बडी भूमिका
जिउतिया
लोकोत्सव की रंगीनियत, रोमांच और हास्य विनोद में बच्चों की बडी भूमिका है। इनके
बगैर अधिकांश प्रस्तुतियों का होना संभव नहीं दिखता। ये बच्चे प्रशिक्षित कलाकार
नहीं हैं। न ही इनको बनाने वाले संगठनों के निर्देशक कहीं प्रशिक्षण लेने गये हैं।
सभी इस मिट्टी के कलाकार हैं जो पीढियों से बतौर परंपरा इसे ग्रहण किया है। शायद
इसी लिए धर्मवीर भारती ने अपनी डाक्युमेंट्री का नाम ‘द सोल आफ कल्चरल सिटी
दाउदनगर’ रखा है। यानी संस्कृति की आत्मा है दाउदनगर। उनके अनुसार इस शहर की बडी
आबादी कलाकार है। मिट्टी के कण-कण में यहां कला बसती है। जो भी देखता है वह
भौचक्का रह जाता है। प्राय: झांकियों में बच्चे सम्मिलित होते हैं। इनके सहभागी
बनने पर किसी अभिभावक की नाराजगी नहीं होती। अभिभावक भी उत्साह के साथ बच्चों को
शामिल होने पर रजामन्दी देते हैं।
बहुत सूंदर। दाउदनगर को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में सहायक।
ReplyDelete