चंदे के पैसे से दर्जनों बेटियों का कराया विवाह
सांप्रदायिक सौहार्द ही सीखाना जीवन का लक्ष्य
अद्भूत गुणों वाले है याकूब मंसूरी
देवहरा निवासी शिक्षक सुनील बौबी ने बताया कि मो.याकूब अंसारी उर्फ बीरा के पास कई अदभुत गुण है। एक बार किसी से बात कर ले तो दुबारा उस व्यक्ति की आवाज से ही पहचान कर नाम तक बता देते है। अच्छे गीतकार भी है। गीत-संगीत सुनाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देना इनका हुनर है। दो पुत्रों के वालिद याकूब भूमिहीन है। उन्होंने 1989 में गोह प्रखंड के देवहरा पुनपुन नदी घाट पर सूर्य मंदिर, 1993 में देवहरा मस्जिद का निर्माण और बाद में पोखरा का भी निर्माण चंदा के पैसे से ही कराया।
गया, औरंगाबाद, धनबाद, बोकारो आदि जिले की जिन दर्जनों बेटियों की शादी करवाई है उनकी पहचान उजागर करना अच्छा नही समझते है।
चंदे से ही चलती रही गृहस्थी
बीरा दो भाई है| दोनो के गृहस्थी अलग अलग ढंग से चलती है। बीरा के दो पुत्र सरफराज अहमद एवं शहनवाज अहमद है। अब खुद दोनों कमाते है। गृहस्थी हिन्दू और मुस्लिम पर्वों पर चंदा में मिले पैसे से चलती थी। शुभ अवसरों पर गजल, कव्वाली व गीत पेश कर कुछ पैसे कमा लेते है। पत्नी शमीमा खातून पति के सामाजिक कार्यों को भी प्रोत्साहित करती है।
Salute
ReplyDeleteजय हिंद
Great bhaiya