कक्षा 6 से 10 तक के पढ़ते है बच्चे
विज्ञान और
व्याकरण की मिलती है शिक्षा
सुदूर देहात में शिक्षा
निश्शुल्क दी जा रही है ,
वह भी उच्च स्तर
की। रामानुज साइंस एंड एजुकेशनल ट्रस्ट के बैनर तले संसा में निदेशक लक्ष्मी
नारायण का यह प्रयास गत की साल से चल रहा है। अब इसकी एक पहचान स्थापित होते जा
रही है। कक्षा 6
से 10 वीं तक के कुल 80 बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा का यह लाभ
प्राप्त हो रहा है। सभी गरीब होते है, जो स्कूल जा कर पढ़ने में खुद को असमर्थ समझते है। एक छोटे से कमरे में शिक्षा
लेने वाले गाँव के बच्चे बड़े उत्साहित दिखाते हैं। उनको गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा
मुफ्त जो मिल रही है। बतौर प्रधानाध्यापक श्रीकांत कुमार व्यवस्था में अपना योगदान
दे रहे है। दोनों की जुगलबंदी अच्छी है और इसका लाभ बच्चे उठा रहे है। दोनों न बड़े
पैसेवाले हैं न ही जमींदार है न किसी अच्छी पगार वाली नौकरी में है। इसके बावजूद
वे बच्चों को गणित,
विज्ञान, व्याकरण, सामाजिक विज्ञान की शिक्षा दे रहे है। इस व्यवस्था से बच्चों को जो शिक्षा मिल
रही है वह सरकारी स्कूलों में तो नहीं ही मिल पाती है। इन्हें कक्षा करने और
बारीकियों को समझने के लिए विज्ञान के लैब उपलब्ध है। मौके बेमौके विज्ञान
प्रदर्शनी लगाई जाती है,
जिसमे बच्चे
अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। अब इनकी प्रतिष्ठा बढ़ती जा रही है। चर्चा होने
लगी है। पूर्व जिला पार्षद राजीव कुमार उर्फ बबलू जैसे लोग उनकी मदद करते हैं और
हौसला बढ़ाते हैं।
निश्शुल्क शिक्षा की यह व्यवस्था दंड के पैसे से संचालित होती है।
संस्था के निदेशक लक्ष्मी नारायण ने बताया कि बच्चों से जो दंड वसूला जाता है उसी
से पूरी व्यवस्था संचालित होती है। स्कूल एक दिन नहीं आबे पर 5 रुपये, होम वर्क नहीं बनाने पर 5 रूपए और स्कूल परिसर को गंदा करने पर 10 रुपए का आर्थिक दंड बच्चों को लगाया जाता है। बताया कि सर्वाधिक दंड की राशि 66 रूपए होती है। इस संस्थान का अर्थ तंत्र और
आर्थिक जुगाड़ यही है।
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