अब
भी दिखती है नाउम्मीदी की बेचैनी
अपने
लोगों की सरकार ने ही ठगा
चुप
रहने लगे है अब मियांपुर के पीड़ित
उपेन्द्र
कश्यप
गोह का मियांपुर, एक ऐसा गाँव जिसने बिहार में नरसंहार के
खात्मे के मुनादी की थी| 16 जून 2000 को यहाँ रणवीर सेना ने पहली पिछड़ी और
सत्ताधारी जाति के खिलाफ जनसंहार किया था| इसके बाद बिहार में कभी नरसंहार नहीं
हुए| इसीलिए बिहार में नारसंहारों के दौर का मुसहरी प्रारम्भ था तो मियांपुर अंत|
विकास के मोर्चे पर इस गाँव में कुछ नहीं बदला| जिन सडकों किनारें 34 लाशें गिरी
थी वह भी नहीं बनी|
गाँव
में 65 वर्ष की देवमतिया घटना की प्रतिनिधि तस्वीर है| सतरह साल बाद उसके चेहरे
पर झुर्रियां आ गयी हैं। कम सुनती है।
शायद व्यवस्था की मार ने यह ठीक ही किया कि जमाने की शोर न सुनना पडे। अन्यथा
क्या-क्या सुनेगी और क्या क्या बतायेगी बेचारी देवमतिया? कहते हैं ईश्वर इसीलिए
बहरा के साथ गुंगा भी बनाता है, ताकि सुनने के बाद बोलने की बेचैनी जानलेवा न हो
जाये? उसका पुत्र राम लेख यादव और बेटी जानती कुमारी (13) मारे गए थे| बताती है
घटना के बाद आश्रित को नौकरी देने की घोषणा हुई| बाद में कई और घोषणा की गयी, किन्तु
सिर्फ एक लाख मुआवजा और दशकर्म व ब्रह्मभोज के लिए ग्यारह हजार रूपए मिले| आश्रित
की शर्त के कारण नौकरी नहीं मिली, जबकी घटना के वक्त देवमतिया मात्र 48 साल की थी|
सामाजिक न्याय के झंडाबरदार की सरकार तब भी थी और अब भी है| गाँव के लोग खुद के
शासकों द्वारा ठगा हुआ महसूस करते हैं| इसीलिए देवमतिया अब चुप रहने लगी, कम
सुनाने लगी, क्यों की न कल कोइ सूना न अब कोइ सुनता है न कल कोइ सुनेगा, इसकी
उम्मीद ही है|
जो
मारे गए थे
मियांपुर
में मारे गए 34 में 20 स्त्री, 14 पुरुष शामिल हैं| इसमें 26 यादव, छ: पासवान व दो
बढ़ई जाति के शामिल हैं|
मियांपुर
का रास्ता भूल गयी सड़कें
मियांपुर
ने जब 34 जानें दी तो उन्हें सत्ता ने आश्वस्त किया कि सड़क भी शीघ्र पक्की होगी और
केवाल मिट्टी में यात्रा का दर्द सदा के लिए दूर हो जाएगा| अलबत्ता दो सड़कें
मियांपुर के लिए बनी और दोनें ही वहां पहुँचने का रास्ता भूल गईं| अरंडा से
मियांपुर तक की सड़क गाँव पहुँचने से करीब एक किलोमीटर पहले ही ख़त्म हो गयी| दूसरी
सड़क बुधई मोड़ से मियांपुर तक बननी थी तो वह रास्ता भटक कर बीच में करीब डेढ़
किलोमीटर पहले ही हरिगांव तक सिमट कर रह गयी| इस रास्ते भी गाँव में नहीं पहुचं
सकते हैं|
लालू भक्तों ने हथियार, नीतीश भक्तों ने सुरक्षा ली
फोटो-नरसंहार स्मारक के साथ श्याम सुन्दर
जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के प्रदेश प्रवक्ता श्याम सुंदर ने
कहा कि तब से लगातार बिहार में सामाजिक न्याय और न्याय के साथ विकास के नारा लगाने
वाली सरकार है। एक ओर जहां नरसंहार बाद पिछड़ी जाति के लालू भक्तों ने सामंतों का
डर बताकर हथियार के लाइसेंस लिये वहीं नीतीश भक्तों ने नक्सलियों के डर के नाम पर
सरकार से अपनी सुरक्षा बढ़वाई। आज भी मियांपुर सामंती दंश का शिकार है। सामंती
दलालों ने इस बीच मियांपुर को दर्द दिया है। जब-जब मियांपुर को सड़कों से जोड़ने
की योजना बनी, सामंती दलालों ने सड़कों को मियांपुर पहुंचने में
अडंगा लगाया। कहा कि राजद-जदयू के स्थानीय सियासतदानों ने पीड़ितों के साथ छल किया
है।
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