Saturday, 24 June 2017

सरकार फीस तय करेगी तो आयेगी निजी स्कूलों को मुश्किल


 उपेन्द्र कश्यप
 राज्य सरकार अब नीजी स्कूलों के फीस तय करेगी| इसके लिए चार राज्यों के अध्ययन के बाद रेगुलेशन प्रस्ताव तैयार किया गया है| इस महीने के अंत तक सरकार इस पर कोइ ठोस निर्णय ले सकती है| जिस तरह पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में अभिभावकों का विरोध बढ़ रहा है शायद बिहार सरकार उससे सतर्क हो गयी है| लेकिन क्या यह इतना आसान होगा? नीजी स्कूल इसे स्वीकार कर सकेंगे? कितना आसान या मुश्किल होगा यह अभी नहीं कहा अजा सकता किन्तु नीजी स्कूलों की चिंता इस खबर से बढ़ गयी है|

सही मापदंड तय करना मुश्किल-सुरेश कुमार

बाल कल्याण शिक्षण संस्थान के पूर्व अध्यक्ष व विद्या निकेतन के सीएमडी सुरेश कुमार कहते हैं कि सौ फीसदी यह अनुचित है| सरकार कैसे तय कर सकती है| शिक्षकों को मासिक भुगतान एक हजार से तीस हजार तक होता है| व्यवस्था के हिसाब से फीस तय करना होता है| सरकार किस मापदंड पर यह तय करेगी?

दाउदनगर के गवान प्रसाद शिवनाथ प्रसाद बीएड कॉलेज के सचिव डा.प्रकाशचंद्रा का कहना है कि सरकार वोट के लिए लोक लुभावन नीति बनाती है, इस कारण यह व्यवहारिक नहीं होता है| एक साल पूर्व बीएड कॉलेजों के लिए सरकार ने फीस तय किया था| नतीजा अब चलाना मुश्किल हो रहा है| सरकार वेतन और संसाधन देती है तब भी सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता ठीक नहीं हुई| नीजी स्कूल अपनी सुविधा और गुणवत्ता के हिसाब से फीस तय करते हैं|
प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्य स्कूल नव ज्योति शिक्षा निकेतन के निदेशक नीरज कुमार ने कहा कि 

"विद्यालय की व्यवस्था के अनुरूप फीस तय करते हैं| जिनकी जैसी व्यवस्था होती है उसकी उस हिसाब से फीस होती है| शिक्षकों का वेतन सरकार तय करेगी और देगी या स्कूलों को देना है?"   



स्कूल भी चलें व भला भी हो-डा.शम्भूशरण सिंह
फोटो डा.शम्भूशरण सिंह

विवेकानंद मिशन स्कूल के निदेशक डा.शम्भूशरण सिंह का मत इस नुद्दे पर सबसे अलग है| उन्होंने कहा कि नीजि स्कूलों को मनमाना छोड़ देना हो सकता है उचित न हो, किन्तु नीजि शिक्षण संस्थानों का समाज में योगदान भी भुलाया नहीं जा सकता| समाज का भला तो नीजि स्कूल करते ही हैं, जनता का अहित न हो यह भी सरकार को देखना चाहिए| इन्होने कहा कि यह व्यापक क्षेत्र है| गाँव, पंचायत, ब्लाक, अनुमंडल व जिला सस्तर पर स्कूल हैं| सुविधा और गुणवत्ता का बड़ा अंतर भी होता है| सरकार को देखना चाहिए कि स्कूल भी चलते रहें, ढांचा भी बरकरार रहे और लोगों को भी दिक्कत न हो|

नीति और नियत की बात
बिहार सरकार की यह पहल बहुतों को अच्छी लगेगी कि नीजि स्कूलों की फीस वह तय करेगी| सवाल यह है कि यह कितना सफल हो सकेगा? राज्य में कभी भी नीजि स्कूलों का सर्वे नहीं हुआ है| बिना प्रमाण नीति बनाना और उसे लागू करना इसी को शायद कहते हैं| सरकार ने नीजि स्कूलों के निबंधन का फैसला लिया था| स्कूलों से पैसे (रसीद के साथ) लिए गए किन्तु सरकार पीछे हट गयी| शायद उसे यह इल्म हो गया था कि ऐसा करने से सरकारी स्कूलों की खराब स्थिति और साफ़ हो जायगी| इस खबर में भी सरकार की नीति और नियत पर संदेह है| शायद ही वह ऐसा कर सके|   

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