अपने सीने पर चंचला देवी ने कराया कलश स्थापना
दुर्गा क्लब में इन्हें देखने उमड रहे श्रद्धालु
एक ही अवस्था में दस दिन की हठ साधना
मनुष्य की
श्रद्धा-भक्ति के आगे किसी विचार या तर्क का स्थान नहीं होता। कवि अनिल विभाकर ने
लिखा भी है कि– मनुष्य पत्थर नहीं अपनी-अपनी आस्था पूजता है। अब इस दृष्य को देखकर
कोई क्या कहेगा? यहां दुर्गा क्लब तांती समाज पूजा पंडाल में चंचला देवी ने अपने
सीने पर पांच कलश की स्थापना कराया हुआ है। न वे उठ सकती हैं, न बैठ सकती हैं, न
करवट बदल सकती हैं। न कुछ खा सकती हैं, न पानी पी सकती हैं। तीन दिन होने को है और
दस दिन ऐसे ही, एक ही अवस्था में उन्हें रहना है। दुर्गापूजा के दिन हवन होने के
उपरांत वे सामान्य जीवन में वापस आ सकेंगी। तब वे अन्न-जल ग्रहण करेंगी। इस हठ
साधना के लिए स्वयं पर किस हद तक कठोर वर्जनायें लागू करनी होती है, इसका वे
अप्रतिम उदाहरण हैं। जब कोई सुनता है तो विश्वास नहीं करता है। जाकर स्वयं की नजर
से देखे बिना संतुष्टि नहीं मिलती किसी को, तो कोई अपने संशय को व्यक्त नहीं कर पा
रहा है।
बिना इच्छा-अपेक्षा के हठ साधना
बहन चंचला देवी को मां दुर्गा से न कोई इच्छा है,
न अपेक्षा है, न कोई मनोकामना है, न कोई आवश्यक्ता समझ में आती है। बस यूं ही किये
जा रही हैं। यह हठ साधना उनका चौथा साल निरंतर है। कहा- क्या चाहिए? सब कुछ तो है
मेरे पास। फिर प्रश्न उठा कि क्यों, कोई तो वजह होगी इस तरह स्वयं को पीडा देने
की? बोलीं- नहीं। कोई आवश्यक्ता या इच्छा नहीं है। बस किये जा रही हूं। कब तक कर
सकुंगी पता नहीं।
चमत्कारिक प्रेरणा से प्रारंभ
बताया कि चार साल पूर्व वे सदर अस्पताल औरंगाबाद
गयीं थीं। मन हुआ और धर्मशाला में चली गयीं। नवरात्रा प्रारंभ होने के चार दिन
पूर्व। वहां एक अदद्भूत अनुभूति हुई। एक ब्राह्मण मिले। बोले-कुछ मंग लो। मैं
बोली- कुछ नहीं चाहिए। सब कुछ है मेरे पास। तीसरी दफा बोली- जे देवेला होतई माई के
देथी। ओबरा स्थित घोडदौड अपने घर लौटी तो सपने में चार रात कलश दिखता रहा। वे बेल
मोड पर स्थित पूजा पंडाल गयीं और सीने पर कलश स्थापित करा लीं। दो बार जिला
मुख्यालय में ऐसा की और अब दाउदनगर में।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
चंचला देवी की उम्र 35 वर्ष है। पति मुन्ना सिंह
आटो चलाते हैं। इकलौता बेटा पंकज कुमार भोपाल इंजीनियरिंग कालेज में अध्ययनरत है।
बेटी प्रियंका दसवीं और प्रिया छठी कक्षा में ओबरा में ही पढती हैं। परिवार सुखी
है, कोई कष्ट नहीं।
बोले पंडाल अध्यक्ष
दुर्गा क्लब तांती समाज पूजा पंडाल के अध्यक्ष
गुलाबचंद प्रसाद का कहना है कि कभी सुनते थे तो संशय होता था, विश्वस नहीं होता
था। अब तीन दिन से निरंतर देख रहे हैं। वाकई अद्द्भुत और रोचक होता हुआ देख रहे
हैं।
ऐसा करने की सलाह नहीं दे सकते चिकित्सक
यहां के वरिष्ठ चिकित्सक डा.बीके प्रसाद ने पूरे प्रसंग में कहा कि कोई भी चिकित्सक ऐसा करने की सलाह नहीं दे सकता। इसमें किडनी खराब होने से लेकर पीठ में घाव होने का खतरा रहता है। सुगर वगैरह निरंतर जांच होनी चाहिए। बताया कि बीस-पच्चीस दिन तक भी बिना कुछ खाये-पीये जीने का कई उदाहरण है। महात्मा गान्धी और अन्ना हजरे का उदाहरण है।
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