नशा निवारण समिति कर
रहा प्रचार
नशा मुक्ति अभियान समिति डिहरा ग्रामीण स्तर पर नशामुक्ति के
लिए प्रचार-प्रसार कर रहा है। उसके नेतृत्व सेवानिवृत लोगों के जिम्मे है। वर्ष
2014 से अबियान चलाया जा रहा है। हैंडविल बनाकर वितरित किया जाता है, लोगों से
मिलकर उन्हें नशामुक्ति के लिए प्रेरित किया जाता है। समिति के अध्यक्ष हैं-खुटहां
के पूर्व सैनिक बेसलाल सिंह। डिहरा निवासी सचिव सेवा निवृत शिक्षक तेजनारायण सिंह
ने बताया कि लोगों को लगभग दो साल से नशामुक्त होने के लिए प्रेरित करने का काम
संगठन कर रहा है। इस प्रयास को तब संबल मिला जब 1 अप्रैल से राज्य में शराबबन्दी
लागू कर दी गयी। इस समिति में शिक्षक कृष्णा ठाकुर सन्योजक, सेवा निवृत शिक्षक
रामनारायण प्रसाद कोषाध्यक्ष हैं। डा.ललन कुमार शर्मा, कनीय अभियंता बबन यादव,
शिक्षक शक्ति कुमार व महेन्द्र सिंह सदस्य हैं। इनकी प्रचार सामग्री पर लिखा हुआ
है- नये युग की नयी पुकार, नशामुक्त हो नया बिहार। मांग रह है हिन्दुस्तान, मिटा
दो जड से नशापान। नशा का जो हुआ शिकार, उजडा उसका घर परिवार। ऐसी जहर है शराब, जो
दिल दिमाग को करे खराब। नशपन में नहीं है भलाई, खायें घर में दुध मलाई। मां बहनों
की भी पुकार, नशामुक्त हो घर परिवार॥ आम जनता से यह अपील की जा रही है। समझाया जा
रहा है कि नशामुक्त समाज बनायें।
आवश्यक नहीं ‘बनावटी
आवश्यक्ता’
नशा निवारण समिति
कहती है कि मनुष्य की मुख्य अवश्यक्ता भोजन, वस्त्र, अवस और शिक्षा है। तो फिर
नशापान जैसी बनावटी आवश्यक्ता की जरुरत क्या है। जरुरत है तो हमें स्वस्थ रहने की,
सांस्कारिक बनने की, शिक्षित बनने की। नशापान हमें सभी विकासशील कम में बाधक बनती
है। इससे गरीब भी कुसंगति में पडकर दुख भोग रहे हैं।
नशापान से मिला
क्या?
नशाखोरी व मद्यपान
से मानव को क्या मिला है? अकाल मृत्यू, दुर्घटना, धार्मिक एवं सांस्कृतिक उत्सवों
में मरपीट, हत्या, दुष्कर्म, अपहरण और क्या मिला है? नशापान मानवता के विरुद्ध
अधर्म है, महापाप है। इसे त्यागने में ही सबका कल्याण है।
सीखें, समझें, राह
चुनें
नशा निवारण समिति जो
हैंडविल बांट रही है उसमें सीखने समझने की बत करते हुए रास्ता भी बताया गया है।
लिखा है-
बता सकें तो राह
बतायें, पथ भटकाना ना सीखें।
लग सकें तो बाग
लगायें, आग लगाना ना सीखें।
पी सकें तो क्षीर
अमृत पीयें, नशा विष ना पीयें।
जी सके तो सुख चैन
से जीयें, दुख दर्द जीन न सीखें।
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