फोटो-दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर |
आरटीआई से हकीकत का खुलासा
सारे दावे बिखरे और दूर हुए भ्रम
भूमि अनुपलब्धता है इसकी बजह
बिहटा से अनुग्रह नारायण
रेलवे स्टेशन तक रेलवे लाइन बिछाने की परियोजना भारत सरकार के रेलवे मंत्रालय के
हाथ में नहीं है| यह खुलासा सूचना के अधिकार क़ानून (आरटीआई) के तहत हुआ है| इसमें
मंत्रालय ने साफ़ कहा है कि- इस परियोजना को भूमि की अनुपलब्धता के कारण मंत्रालय
के द्वारा लिया ही नहीं गया है| साफ़ है कि मीडिया रिपोर्टों में जिस तरह जिम्मेदार
नेताओं ने दावे किये वे शायद जानबुझ कर झूठ बोले गए थे| रेल मंत्री सुरेशा प्रभु
से से मिलने वाले नेताओं ने दावा किया अता अकी राशि की कमी नहीं होगी और कल से काम
शुरू हो गया| यह ‘कल’ अब अँधेरे में चला गया है| सरे दावे झूठे निकले और भ्रम पूरी
तरह दूर हो गये हैं| अरई के निवासी रजनीश कुमार ने सूचना के अधिकार के तहत औरंगाबाद
से बिहटा वाया अनुग्रह नारायण रोड तक 118.45 किलोमीटर प्रस्तावित रेलवे परियोजना के बारे में जानकारी माँगी थी| इसमें
पूछा था कि- इस परियोजना की अद्यतन स्थिति क्या है और इस हेतु फंड आवंटन क्या है ? दूसरा-कितने दिनों में इसे पूरा करना है और अभी तक इस हेतु क्या प्रगति हुई है?
उन्होंने बताया कि रेलवे मंत्रालय द्वारा जो सूचना उपलब्ध कराई गई है, उसके अनुसार- इस परियोजना को भूमि की अनुपलब्धता के कारण मंत्रालय के द्वारा लिया ही नहीं गया है| इस कार्य को रेलवे मंत्रालय अपने हाथ में तभी लेगी जब राज्य-सरकार इस हेतु भूमि अधिग्रहण का कार्य पूर्ण करेगी| कहा है कि उपरोक्त कारणों से ही इस कार्य को पूरा करने की कोई तिथि तय नहीं की गई है|
उन्होंने बताया कि रेलवे मंत्रालय द्वारा जो सूचना उपलब्ध कराई गई है, उसके अनुसार- इस परियोजना को भूमि की अनुपलब्धता के कारण मंत्रालय के द्वारा लिया ही नहीं गया है| इस कार्य को रेलवे मंत्रालय अपने हाथ में तभी लेगी जब राज्य-सरकार इस हेतु भूमि अधिग्रहण का कार्य पूर्ण करेगी| कहा है कि उपरोक्त कारणों से ही इस कार्य को पूरा करने की कोई तिथि तय नहीं की गई है|
रजनीश को इस सूचना के लिए तीन साल तक मशक्कत करनी पडी है|
उन्होंने 27 जुलाई 2014 को सूचना के लिए आवेदन दिया था| सूचना नहीं मिली तो प्रथम
अपील 30 सितंबर 2014 को की| इसके बाद कई बार केन्द्रीय सूचना आयोग से शिकायत करते
रहे तब जा कर पांच मई शुक्रवार को सूचना मिली| सूचना रेलवे बोर्ड के डिपुटी
डायरेक्टर, वर्क-दो, एलपी शर्मा ने दी है|
अतीत के दावे व आन्दोलन
इस परियोजना को लेकर अतीत में खूब दावे किये गए थे| सात फरवरी
को सांसद सह केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री रामकृपाल यादव ने रेल मंत्री सुरेश
प्रभु से रेल भवन में मुलाकात कर दावा किया था कि मंत्री ने सम्बंधित अधिकारियों
को कल से ही परियोजना पर कार्य करने का निर्देश दिया है| पैसे की कमी बिल्कुल नहीं
होने का अभी दावा था| जनवरी के अंतिम सप्ताह में बजट से फले अरवल, पालीगंज, दुल्हिनबाजार, बिक्रम, औरंगाबाद के लोगों ने
पदयात्रा व धरना प्रदर्शन किया गया| बिहटा दानापुर रेलमार्ग जाम कर दिया| एडीआरएम
दानापुर के आश्वासन के बाद आंदोलन समाप्त हुआ| बीते
22 दिसंबर को पाटलीपुत्र के संसद सह मंत्री रामकृपाल
यादव, जहानाबाद के सांसद अरुण कुमार और औरंगाबाद के सांसद सुशील कुमार सिंह ने प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर राशि आवंटित करने का आग्रह किया था।
326 से 28 सौ करोड़ की हुई परियोजना
118 किलोमीटर लंबी
बिहटा-औरंगाबाद नई रेललाइन परियोजना को 2007 में जब स्वीकृति
मिली थी तब इसकी लागत 326 करोड़ रुपए अनुमानित थी| इसे 2011-12
तक पूरा किया जाना था, लेकिन भूमि अधिग्रहण का
मुद्दा नहीं सुलझ पाने के कारण परियोजना धरातल पर नहीं उतर सकी। अब इसकी बजट सात
गुना बढ़ गयी है| एडीआरएम्
दानापुर ने दावा किया है कि 2800
करोड़ का बजट मंत्रालय को भेजा गया है|
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