सामाजिक न्याय का संघर्ष करने वाले पुरखों
की आत्मा कलंकित हो गयी है| वे नहीं सोच सके होंगे कि एक दिन यह सिद्धांत सिर्फ
राजनीति की चोरबाजारी की पर्देदारी के काम का बन कर रह जाएगा| दूसरों का दोष तय
करने से पहले अपने गिरेबां में भी झांकना चाहिए| इस बुनियादी सवाल से बच कर कोइ कब
तक भाग सकता है भला| सामाजिक न्याय के नाम पर घोर जातिवादी राजनीति और सामाजिक
व्यवहार करना किसी तरह से न्याय के दायरे में फिट नहीं बैठता| सामाजिक न्याय का
दायरा बहुत व्यापक है| पत्रकार पर हमले की घटना पर फारवर्ड प्रेस में संपादक नवल
किशोर कुमार ने लिखा- असल में औरंगाबाद की राजनीति के
कई आयाम हैं। पहले सवर्णों के वर्चस्व के बाद अब यादव जाति के लोग निर्णायक भूमिका
में हैं। इस पैटर्न पर यहां की राजनीतिक आबोहवा भी बदली है। सत्ता के साथ ही
सवर्णों का सामंती आचरण भी हस्तांतरित हुआ है, जिसमें
गंभीरता व संवेदनशीलता का घोर अभाव दिखता है। इन्होने अपने लंबे आलेख में चिंता
जताते हुए लिखा- उपेन्द्र कश्यप के साथ हिंसा केवल भीड़ की हिंसा नहीं है बल्कि यह
एक जातीय उन्माद का परिणाम भी है जिसकी अनदेखी करना खतरनाक होगा।
सामाजिक न्याय के सियासतदानों इतिहास माफ नहीं करेगा
प्रख्यात पत्रकार रहे जन
अधिकार पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्याम सुंदर ने साफ़ कहा कि यह विडंबना है कि
दोहरे हत्या में मारे जाते हैं सामाजिक न्याय के युवक| आश्चर्य यह कि हमले का
शिकार होने वाला पत्रकार भी सामाजिक न्याय के दायरे में ही आता है। क्या ढकोसले
सामाजिक न्याय पर कुठाराघात करने की हिम्मत दाउदनगर से लेकर औरंगाबाद और पटना में
बैठे सियायतदान और दलितों, पिछडों समेत अन्य बौद्धिक लोग जवाब देंगे?
क्या अपनी सियासत चमकाने के लिये किसी
की जान लेने की इजाज़त किसी ताकतवर लोगों को दी जा सकती है? याद
रखना सामाजिक न्याय के तथाकथित सियासतदानों इतिहास माफ नहीं करेगा|
सरकार को कर रहे लोग बदनाम
भगवान प्रसाद शिवनाथ प्रसाद बीएड के सचिव सह राजद आपदा प्रबंधन
प्रकोष्ठ के प्रदेश नेता डा.प्रकाशचंद्रा ने कहा कि यह घटना सामाजिक ताने बाने को ध्वस्त
करने वाली है| कुछ लोगों की जातीय करतूत व हिंसक मानसिकता की वजह से ही एक अच्छी व
सामजिक न्याय वाली सरकार को बदनामी का कड़ा घूँट पीना पड़ता है| जनता से विनम्र निवेदन
किया कि उग्रता को त्यागे और पत्रकारों व अन्य जनों का सम्मान करना सीखें| बुजुर्गों
को चाहिए कि वे अपने घर के बच्चों को संयम व अनुशासन का पाठ पढ़ाये|
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