Friday, 16 October 2015

जरा मेरी भी सुनो, लोकतंत्र के रहनुमाओं

विकलांगों की पीडा की है अलग कहानी
नि:शक्तों ने दबाया ईवीएम का “नोटा”

                           फोटो-फैयाजुल हक और राजेन्द्र प्रसाद

उपेन्द्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) पिराही बाग के 50 वर्षीय फैयाजुल हक उर्फ गुल्लु मियां ने मदरसा इस्लामियां में मतदान केन्द्र संख्या-05 पर अपना मतदान किया। उनके चेहरे पर पूर्व की तरह उत्साह का भाव नहीं है। वे लाचार हैं, सीधे अपने पांव के सहारे नहीं चल सकते। बैशाखी का सहारा लेना पड रहा है। पांव के अंतिम पोर तक अभी संवेदनाशीलता नहीं पहुंच सकी है। गत 17 मई को उनको गोली का शिकार बनना पडा था। सांप्रदायिक दंगे की चपेट में वे अपना जीवन तो बचा सके किंतु फिलहाल अपाहिज का ही जीवन जी रहे हैं। खैरियत पूछा तो बोले- सरकार ने गोलियों के शिकार सभी घायलों का इलाज अपने खर्च पर कराने की घोषणा की थी, कहां कराया? सब पैसा रख लिया होगा। उनकी यह पीडा है। ऐसे तमाम लोग निराश हैं, जो शारीरिक तौर पर नि:शक्त हैं। राजकीय मिडिल स्कूल संख्या- 02 पर मिले राजेन्द्र प्रसाद। घर से बैशाखी के सहारे पैदल ही आ गये हैं। बोले- हम्लोग की क्या काबिलियत है बाबू। तो फिर वोट क्यों दिया? बोले- अपना अधिकार है कैसे छोड दें? बात तो वाजिब है किंतु निराशा में भी यह एक उम्मीद जगाती है। इन्होंने कहा कि किसी की सरकार बने उससे उम्मीद क्या करें? नि:शक्त एक्युप्रेशर चिकित्सक विकास मिश्रा ने बताया कि उनके बूथों पर प्राय: सभी नि:शक्तों ने नोटा का इस्तेमाल किया है। पूर्व में ही विकलांग संघ ने घोषणा की थी कि किसी दल ने चूंकि अपने घोषणा पत्र में उनकी चिंता व्यक्त नहीं किया है इस कारण किसी को भी मतदान नहीं करना है। इसी कारण नोटा का इस्तेमाल किया गया है।

पहली बार मोबाईल पोर मोनेटरिंग
संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद) बूथों पर इस बार मतदाताओं की तस्वीर भी खींची गयी। सभी मतदान केन्द्रों पर यह व्यवस्था निर्वाचन आयोग के फैसले के तहत की गयी। मोबाईल पोर मोनेटरिंग के लिए शिक्षकों को लगाया गया। उनका काम रहा कि जिस मतदाता की तस्वीर धुन्धली है, या गलत है उसकी तस्वीर खींच कर आयोग को एक निर्धारित मोबाईल नंबर पर भेजना। उर्दू प्राथमिक स्कूल पर मिले भोला प्रजापति ने यह जानकारी दी।

सबको नहीं मिली मतदाता परची
दाउदनगर (औरंगाबाद) बूथ लेबल आफिसर (बीएलओ) ने सबको मतदाता परची नहीं पहुंचाया, जैसा कि दावा किया गया है। प्राय: सभी बूथों पर लोग अपने नाम की परची खोजते रहे। मतदान केन्द्र संख्या 09 एवं 10 कन्या मिडिल स्कूल पर मिले राजन प्रसाद ने बताया किइस कारण मतदाताओं को बूथ से लौट जाना पड रहा है। इसी कारण वापस लौट रहे दुलारचंद साव ने बताया कि उनके पास परची नहीं है। जा रहे हैं लाने, तभी एक व्यक्ति उन्हें इसके लिए बाहर लेकर चला गया। चौंकाने वाली बात यह दिखी कि राजनीतिक दल के कार्यकर्ता इस बार इस मुदे पर सक्रिय और उत्साहित नहीं दिखे।

पुराने मतदाता सूची से परेशानी
दाउदनगर (औरंगाबाद) भाजपा प्रखंड अध्यक्ष अश्विनी तिवारी ने कहा कि अरई में बूथ संख्या 40 पर मतदाता सूची पुराना वाला भेज दिया गया। इसमें कई नये बने मतदाताओं के नाम ही शामिल नहीं है। कई पुरुषों के बदले महिलाओं के फोटो लगे हुए हैं, जबकि इन्हें सुधारा गया था।


लोकतंत्र में वृद्धों ने भी निभाई अपनी भुमिका
फोटो- यशोदा देवी और गुलाम नवी

संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद) लोकतंत्र के इस महापर्व में वृद्धों ने भी बढ चढ कर हिस्सा लिया। नगरपालिका मिडिल स्कूल संख्या-01 पर स्थित मतदाअ केन्द्र संख्या -11 पर वोट देने यशोदा देवी आयीं। वे करीब 90 साल की हैं। उन्हें उनके पुत्र सुरेश कुमार गुप्ता और पोता आनन्द प्रकाश समेत कई लोग दूसरी एवं तीसरी पीढि के लोग सहारा देकर बूथ तक ले गये। इसी तरह नगरपालिका कार्यालय में स्थित बूथ पर मिले 85 वर्षीय गुलाम नवी। लोग अपने अपने उपलब्ध साधनों और संसाधनों से बूथ तक पहुंचे और मतदान किया। लोकतन्त्र को जिन्दा बचाये रखने में ऐसे बडे बुजुर्गों का योगदान महत्वपूर्ण है।    

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