दैनिक भास्कर रोहतास में प्रकाशित खबर |
पुलिस
के नक्सल विरोधी अभियान में रहे हैं सक्रीय
कैमूरांचल
विकास मोर्चा के बैनर तले किये हैं काम
उपेन्द्र
कश्यप| डेहरी
मुखिया
पुत्र के अपहरण मामले में सुग्रीव खरवार की गिरफ्तारी की चर्चा का दूसरा पहलू भी
है| जिले के लिए नक्सल आन्दोलन, नक्सल विरोधी आन्दोलन के सन्दर्भ में इस गिरफ्तारी
के बड़े मायने हैं| सुग्रीव पुलिस का मुखबीर माने जाते रहे हैं| यह आरोप उन पर
नकस्ली संगठनों ने लगाया और इसकी सजा भी दी| इसके बावजूद हिम्मत नहीं हारने वाले
खरवार पहाड़ पर नक्सल विरोधी आन्दोलन के मुख्य नेतृत्वकर्ता माने जाते रहे हैं| इस
संवाददाता की उनसे मुलाक़ात मुखिया बनने के बाद संभवत: 2002 में हुई थी| एक पत्रिका
के लिए तब उनसे साक्षात्कार लिया था|
मुखबिरी नहीं की तो किया गिरफ्तार
खरवार को लेकर एक चर्चा यह भी है कि पुलिस
उनसे मुखबिरी का काम चाहती रही और वे ऐसा इधर के दिनों में नहीं कर पा रहे थे|
सूत्रों के अनुसार ग्रामीण इलाके के लोग मानते हैं कि उनका कोइ आपराधिक रिकार्ड
नहीं रहा है, हालांकि एसपी ने कहा है कि आपराधिक रिकार्ड रहा है| इसके बावजूद
पुलिस कोइ ख़ास आरोप नहीं लगा सकी है|
संरक्षण देना पडा महँगा
चर्चा है कि वे हथियार का इस्तेमाल अपने हक़
में और अपराधियों का संरक्षण देने के लिए करने लगे थे जो पुलिस को नागवार गुजर रहा
था| कौशल अपहरण काण्ड में हुई गिरफ्तारियां सुग्रीव के खिलाफ पुलिस के लिए एक अवसर
उपलब्ध करा गयी| सुग्रीव ने कैमुरांचल विकास मोर्चा बनाया था| इसके बैनर तले
नक्सलियों के खिलाफ काम किया| पहाड़ पर 59 हथियार के लाइसेंस मिले| इससे नक्सलियों
की दम निकल गयी थी|
पुलिस मुखबिरी का आरोप लगा चुके हैं नक्सली
संगठन
इसी आरोप में परिवार के तीन सदस्यों की हुई थी
ह्त्या
सुग्रीव
खरवार के खिलाफ नक्सली संगठन ने कारर्वाई की है| उस पर मुखबिरी का आरोप लगाया गया
था| वर्ष 2011 में 30 जुलाई की रात बंडा में उसके घर पर हमला किया गया था| उनके
तीन भाइयों अवधेश खरवार, श्री राम खरवार और श्याम बिहारी खरवार की ह्त्या टांगी से
काट कर कर दी गयी थी| घर में आग लगा दिया गया था| तब सुग्रीव खरवार घर में नहीं थे
इस कारण बच गए थे| उन पर जोनल कमांडर बीरेंद्र यादव उर्फ राणा की हत्या का आरोप
माओवादियों ने लगाया था| आज यह बिडंबना ही दिखती है कि पुलिस ने उन पर कई नक्सली
घटनाओं में शामिल होने का आरोप लगाया है|
कौन
था बीरेंद्र यादव उर्फ राणा?
बीरेंद्र
यादव उर्फ़ राणा भाकपा माओवादी का सोन-गंगा-कोयल-विन्ध्याचल एरिया का जोनल कमांडर
था| उसने कामेश्वर बैठा की जगह अपने संगठन में ली थी| वही बैठा, जो बाद में सांसद
बने| बैठा की तरह ही राणा की भी इलाके में तूती बोलती थी और संगठन के लिए खासा
महत्वपूर्ण शख्स था|
2001
में बने थे मुखिया
सुग्रीव
खरवार साल 2001 में मुखिया बने थे| बाद में वे चुनाव नहीं जीत सके या चुनाव नहीं
लड़ सके|
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