जानिये अपने
प्रत्याशी को
स्वयं की नहीं
विरासत की है अचल संपत्ति
उपेन्द्र कश्यप,
दाउदनगर (औरंगाबाद) स्वराज पार्टी (लोकतांत्रिक) से प्रत्याशी हैं- निवर्तमान
विधायक सोम प्रकाश। इनका पैत्रिक घर डेहरी के पडोस में मकराइन है। इस बार जब
नामांकन किया है तो पता मौलाबाग दाउदनगर का लिखा है। भाजपा और जदयू के प्रचंड लहर
के बावजूद ओबरा विधान सभा क्षेत्र से 2010 के चुनाव में जीत का परचम निर्दलीय
लहराया था। न कोई बडा नेता प्रचार को आया था न ही खुद हाई-प्रोफाइल प्रचार किया
था। खुद को गरीब बताते हुए इस करोडपति प्रत्याशी ने जनता से चंदा लिया और एक ही
टीशर्ट पहने रह कर 18 दिन प्रचार कर चुनावी महाभारत में खुद को विजेता की तरह
निकाला। उस चुनाव में इन्हें हर जाति का कुल 36815 मत मिला और सत्ता की लहर पर
सवार राजग प्रत्याशी प्रमोद सिंह चंद्रवंशी को 36012 मत। मामुली अंतर से इस हार ने
सत्ता पक्ष वालों को सदमें में डाल दिया था। जीतने के बाद पूरे बिहार में इनकी
चर्चा हुई। इस बार चुनाव लडने के अनुभव के साथ मैदान में उतरे हैं। इनके द्वारा
निर्वाची पदाधिकारी को दिये गये हलफनामे के अनुसार इनके हाथ में नगदी 15000 और
पत्नी के हाथ मात्र 5000 रुपए है। पूर्व की तरह बीमा की राशि करीब 75 हजार रुपए पर
स्थिर है। यानी पांच साल में कोई अतिरिक्त बीमा नहीं खरीदा। पांच लाख का चार पहिया
वाहन खरीदा है। चल संपत्ति घटी है। पत्नी के पास तब दस लाख मूल्य का मात्र 500
ग्राम सोना था इस बार बचा है मात्र नौ लाख मूल्य का 460 ग्राम सोना। हालांकि इनके
पास इस बार 2 लाख का 100 ग्राम सोना है। बीमा, जेवरात जैसी संपत्तियों के मामले
में सोम प्रकाश के पास 773568 रुपये और पत्नी के पास 919450 रुपये मूल्य की
संपत्ति है। इनके पास अचल संपत्ति (भूमि, भवन) 01 करोड 31 लाख 50 हजार रुपये मूल्य
की है, जिसे विरासत में प्राप्त बताया है। स्वयं द्वारा अर्जित कोई संपत्ति नहीं
है। दारोगा से इस्तीफा देकर विधायक बन जाने के बाद विपक्षी प्रमोद सिंह चंद्रवंशी
इन्हें अदालत ले गये। दावा किया कि इस्तीफा स्वीकार करने की प्रक्रिया गलत थी। हाई
कोर्ट ने नामांकन ही अवैध करार दिया तो विधान सभा अध्यक्ष ने सदस्यता समाप्त कर
दी। अंत में सुप्रिम कोर्ट ने सदस्यता बहाल कर दी है।
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