अलग-अलग था दाउदनगर
और ओबरा विधान सभा क्षेत्र
1952 से 1972 तक था अलग
–अलग वजूद
1977 के चुनाव में
दाउदनगर का वजूद खत्म
उपेन्द्र कश्यप,
दाउदनगर (औरंगाबाद) क्या आप यह जानते हैं कि पहले दाउदनगर और ओबरा स्वतंत्र विधान
सभा क्षेत्र हुआ करता था? दाउदनगर का वजूद 1977 के चुनाव में पूर्णत: समाप्त हो
गया। आजाद भारत में प्रथम चुनाव 1952 में हुआ था। तब ओबरा और दाउदनगर अलग-अलग
विधान सभा क्षेत्र हुआ करता था। ओबरा के साथ बारुण प्रखंड और दाउदनगर के साथ
हसपुरा प्रखंड जुडा हुआ था। यह सिलसिला 1972 के चुनाव तक चला। फिर केन्द्र सरकार
ने परिसीमन आयोग का गठन किया। तब दाउदनगर से विधायक थे बारुण के नारायण सिंह और ओबरा
के विधायक थे हसपुरा के अहियापुर निवासी राम बिलास सिंह। बारुण को अलग कर जब
दाउदनगर और ओबरा प्रखंड को मिला कर ओबरा विधान सभा क्षेत्र बना तो नारायण सिंह के
लिए घातक साबित हुआ। जानकारों की मानें तो तब इस परिसीमन के लिए जिला के एक
राजनीतिक परिवार ने काफी प्रयास किया था। वजह थी नारायण सिंह और इनके पिता केशव
सिंह का राजनीतिक कद कम करना तथा जिला की राजनीति में बारुण का महत्व कम करना। तब
बारुण को सिर्फ अलग नहीं किया गया बल्कि इसे खंडित कर एक हिस्से को नवीनगर और
दूसरे को औरंगाबाद विधान सभा क्षेत्र से जोड दिया गया। जब 2010 में नये परिसीमन पर
चुनाव हुआ तब अखंड बारुण फिर से एक साथ नवीनगर विधान सभा क्षेत्र से जुडा। खैर, जब
1977 में चुनाव हुआ तो वे रामबिलास सिंह से हार गये और धीरे-धीरे उनका राजनीतिक
अवसान हो गया। राम बिलास सिंह उसके बाद ओबरा से तीन बार चुनाव जीतने में सफल रहे।
1952 से 1972 तक
निर्वाचित विधायक
वर्ष ओबरा दाउदनगर
1952 पदारथ सिंह (ईंका) रामनरेश सिंह (सोपा)
1957 दिलकेश्वर राम (ईंका) सैय्यद अहमद सईद कादरी (ईंका)
1962 रघुवंश सिंह (ईंका) रामनारायण सैनिक (ईंका)
1967 पदारथ सिंह (सोपा) रामनरेश सिंह (सोपा)
1969 देवधारी राम (ईंका) रामबिलास सिंह (संसोपा)
1972 नारायण सिंह (ईंका) रामबिलास सिंह (संसोपा)
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