अनुमंडल
गठन की राजनीति-2
‘अनुमण्डल संघर्ष समिति’
का हुआ गठन
राजनीतिक
नेतृत्व की कमजोरी खलती रही
रफीगंज
और नवीनगर भी उभरे दावेदार बनकर
बिहार
विधान सभा सदन में उठा मुद्दा
उपेन्द्र
कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) अनुमंडल गठन के आन्दोलन में ठहराव आने के बाद एक बार
फिर फिर गति आयी, जब विन्देश्वरी दूबे 12 मार्च 1985 को मुख्यमंत्री बने। बीरेन्द्र सिंह (विधायक
भी बने) ने भी अनुमण्डल बनाने के लिए प्रयास किया। बताया जाता है कि इन्होंने तीन
तत्कालीन विधायकों से अनुशंसा ले ली थी। इनके बाद-तत्कालीन विधायक रामबिलास सिंह
की अध्यक्षता में ‘अनुमण्डल संघर्ष समिति’ का गठन किया गया। दूसरी राजनीतिक जमातों ने इसका विरोध शुरू किया और रफीगंज
एवं नवीनगर को अनुमण्डल बनाने का संघर्ष एक साथ शुरू किया ताकि मौके पर बारगेन कर
एक को अनुमण्डल का दर्जा दिलाया जा सके। शायद तभी यह भावना बल पकड़ी कि औरंगाबाद
जिला रेलवे लाइन के इस पार और उस पार में बंटा हुआ है। दूसरी तरफ राजीव रंजन सिंह
ने जून 89 में एक बड़ा समारोह कन्या उच्च विद्यालय दाऊदनगर के
परिसर में आयोजित किया। इसमें पूर्व विधायक ठाकुर मुनेश्वर सिंह, मगध- विश्वविद्यालय के वीसी हरगोविंद सिंह और संभवतः तब कॉग्रेस प्रदेश
अध्यक्ष (बाद में मुख्यमंत्री) जगन्नाथ मिश्रा उपस्थित हुए। राजीव रंजन ने तब कहा
था- राजनीतिक नेतृत्व की कमजोरी की वजह से दाऊदनगर अनुमण्डल नहीं बना और औरंगाबाद
जिला बन गया। श्री मिश्रा ने तब आश्वासन दिया था। रफीगंज के लिए सत्येन्द्र नारायण
सिन्हा ( पूर्व मुख्यमंत्री ) का वरद हस्त प्राप्त इनके भांजा और विधायक डा० विजय
सिंह सक्रिय थे तो नबीनगर के लिए विधायक रघुवंश प्रसाद सिंह। ये सभी तीनों
कॉग्रेसी थे और सत्ता भी इसी पार्टी की थी। इनकी राजनीतिक लौबियां काफी मजबूत थी ।
सत्येन्द्र नारायण सिन्हा स्वयं सन् 89 में मार्च से दिसम्बर
तक मुख्यमंत्री रहे हैं। लेकिन नवीनगर और रफीगंज दोनों की कुछ कमजोरियां थी।
रफीगंज का अनुमण्डल बनना मदनपुर को स्वीकार्य नहीं था, भौगोलिक
कारण सहित कई कारण थे। नवीनगर मुख्य पथ से जुड़ा हुआ नहीं था। लेकिन कोशिशें जारी
रहीं। तब सदन में प्रत्येक शुक्रवार को ‘गैर सरकारी संकल्प’
लाया जाता था। विधायक रामबिलास सिंह ने सदन में दाऊदनगर अनुमण्डल
बनाये जाने का प्रस्ताव लाया और आंकड़ों के साथ तर्क दिया। इसी सदन में डा० विजय
सिंह एवं रघुवंश सिंह ने क्रमश: रफीगंज एवं नवीनगर को अनुमण्डल बनाये जाने का
प्रस्ताव रखा। तब लोकदल से विधायक बने रामबिलास सिंह ने सदन में कहा था- ‘मैं रफीगंज या नवीनगर को अनुमण्डल बनाये जाने का विरोधी नहीं हूँ, मैं चाहता हूँ कि दाऊदनगर अनुमण्डल बने । बेहतर होगा तीनों क्षेत्रों की
तुलना की जाये और जो सारी अहर्ता पूरी करता हो उसे अनुमण्डल बना दिया जाये।’
सदन के अध्यक्ष ने व्यवस्था दी की- ‘सरकार
विचार करेगी।’ मामला फिर लटक गया।
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