गांधी तेरे देश में ये क्या हो रहा !
तेरे शरणागत भी तेरी दुर्गति के जिम्मेदार
अधिकारी, सिपाही और जनप्रतिनिधि दोषी
उपेन्द्र कश्यप
दाउदनगर (औरंगाबाद) यह जो आप देख रहे हैं,
वह ‘अंग्रेजों भारत छोडो दिवस’ के दिन की है। गांधी जी की यह दुर्गति उनकी
तस्वीरों के नीचे बैठकर काम करने वाले अधिकारियों, उनकी कसमें खाने वाले
खद्दरधारियों और विधि व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने वाले, अवसर विशेष पर उनकी
प्रतिमा को सलामी देने वाले सिपाहियों के बीच हो रही है। हमारी राजनीतिक क्षुद्रता
ने जब राष्ट्रवाद और राष्ट्रभक्ति को सांप्रदायिकता बनाम धर्मनिरपेक्षता का रंग
देना शुरु कर दिया हो तो महापुरुषों को भी जातीय और राजनीतिक खांचे में बैठाया ही
जायेगा। हमारे नेताओं ने 67 साल में देश में जिस राजनीतिक वातावरण का निर्माण किया
है यह उसका एक उदाहरण मात्र है। प्रखंड परिसर में गांधी बाबा का स्मारक बनाया गया
था कि लोग यह जान सकें कि क्षेत्र में कौन कौन वे महान स्वतंत्रता सेनानी हैं
जिन्होंने अपना सबकुछ त्याग कर हमें आजादी दिलाया है। उनके नाम इस स्मारक पर खुदे
हुए हैं। मगर माइक्रोस्कोप लगा कर भी पढना मुश्किल। कारण है कि हर बार सीधे चुना
पोत दिया जाता रहा। नाम दिखता रहे इसकी कोशिश किसी ने नहीं की। आप जान नहीं सकते
कि किनके नाम खुदे हैं। साल में दो बार यहां बीडीओ और प्रखंड प्रमुख झंडोतोलन करते
हैं। उनको भी नहीं दिखता और जो उपस्थित आला अधिकारी उपस्थित रहते है या
जनप्रतिनिधि उनको भी यह “दुर्गति” नहीं दिखती। यहां तैनात जिला पुलिस बल के एक-चार
के जवानों ने तो हद ही कर दी है। अपना सरसो का तेल हो या अन्य बोतल गांधी जी पास
ही रखते हैं, जैसे वे इनके सामानों की चोरी न हो इसकी जिम्मेदारी लिये बैठे हों।
स्मारक से ही एक रस्सी बान्ध कर उसपर कपडे सुखाये जाते हैं। प्रतिमा की छत टूटी
हुई है। जिस राज्य और देश में मंत्री के आगमन पर लाखों रुपये सडक या कमरे की सजावट
पर खर्च कर दिया जाता हो वहां इस स्थिति के लिए जिम्मेदार तंत्र को मानसिक तौर पर
दिवालिया या राष्ट्रप्रेम के मामले में संकिर्ण न कहा जाये तो कोई दूसरा शब्द भी
ढुंढना पडेगा।
बोल उनके ....
जिनकी खिडकियों से दिखती है दुर्दशा
दैनिक जागरण के सवाल पर चौंके सभी
प्रखंड कार्यालय परिसर का
गांधी स्मारक रोजाना बैठने वाले तीन सक्षम पदाधिकारियों की खिडकी से दिखता है। इस
परिसर में रोजाना नेता उपस्थित रहते हैं। दिखता सबको है मगर देखना कोई नहीं चाहता।
इसे देखने के लिए जिस श्रद्धा और दृष्टि की जरुरत होती है वह किसी के पास शायद ही
है। इनके बोल भी महत्वपूर्ण हैं। बीडीओ राजेन्द्र शर्मा को जब दुर्दशा बताया तो
बोले कि यह आपत्तिजनक है। इस मामले को देखेंगे। रंग रोगन होगा। सीओ प्रतिभा कुमारी
बोलीं कि इस पर ध्यान देंगे। देखेंगे कि क्या कर सकते हैं। प्रमुख अखिलेश कुमार
सिंह बोले कि सीएम के कार्यक्रम के वक्त प्रखंड सह अंचल कार्यालय की
पेंटिंग-डेंटिंग हुई थी। तब अधिकारियों को देखना चाहिये था। जागरण के सवाल के बाद
कहा कि तेरहवी वित्त आयोग की राशि से एक योजना लेंगे और इस स्मारक की उपेक्षा न हो
इस पर ध्यान देंगे। प्राय: इस परिसर में आने वाले प्रखंड भाजपा अध्यक्ष अश्विनी
तिवारी ने कहा कि जनप्रतिनिधि भी दोषी हैं। इमानदारी से स्वीकार किया कि हम आते
हैं लेकिन जनता के काम से मतलब रहता है। हमने भी इस दिशा में कभी नहीं सोचा। आवाज
नहीं उठाया लेकिन अब इसकी कोई दुर्दशा न करे इसकी कोशिश जरुर करेंगे।
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