फोटो-इलाज करते डा.विकास मिश्रा
पीएचसी में मंत्री के मौखिक आदेश से सेवा शुरु
चार साल में किया बीस हजार मरीजों का मुफ्त इलाज
एक्यूप्रेसर का उपकरण भी नहीं देता पीएचसी
उपेन्द्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) डा.विकास मिश्रा दोनों
आंखों से नहीं देख सकते। सरकार उन्हें नि:शक्तता पेंशन देती है। इसी तीन सौ रुपये
मासिक आमदनी से ही जीविका चलाते हैं। कोई कभी कुछ तरस खा कर दे दिया तो बात अलग।
फरवरी 2011 से तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के मौखिक आदेश पर
पीएचसी में एक्यूप्रेसर पद्धति से इलाज प्रारंभ किया था। उम्मीद थी कि कुछ आय भी
होगा। मगर ऐसा नहीं हुआ। हर सप्ताह दो दिन सेवा देते हैं। पीएचसी के आंकडे के
मुताबिक औसतन 60 मरीज एक दिन में देखते हैं। लोग स्वास्थ्य लाभ लेकर चले जाते हैं।
वार्ड पार्षद बसंत कुमार से इन्होंने आग्रह किया तो वे आरटीआई से इस मामले की
सूचना मांगी। इसके जबाव में बताया गया कि मंत्री का लिखित आदेश प्राप्त नहीं है।
इनको कोई उपकरण उपलब्ध नहीं कराया गया है। तब पीएचसी प्रभारी ने पत्र जारी कर
सप्ताह में दो दिन स्वेच्छा से सेवा देने को कहा था। डा.विकास ने कहा कि कोई उपकरण
देता है तो काम चलता है। चूंकि अधिक मरीज देखने से अधिक मशीन खराब या बेकार होता
था इसलिये मरीज भी अब कम देखना कर दिया। रोगी कल्याण समिति भी मदद नहीं करती।
स्वास्थ्य प्रबन्धक प्रेम प्रकाश दिवाकर ने बताया कि हम कोई सुविधा नहीं दे सकते
क्योंकि डा.विकास की बहाली या नियोजन नहीं हुआ है। जिला से दिशा निर्देश भी ऐसा ही
मिला है। फिलहाल एक्यूप्रेसर का इलाज अपने अकेले दम पर कर समाज को प्रेरित कर रहे
हैं डा.मिश्रा कि आभाव के बीच भी व्यक्ति समाज की सेवा कर सकता है।
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