फोटो-पुराना अनुमंडल कार्यालय
अनुमंडल
गठन की राजनीति-3
‘मैं रफीगंज या नवीनगर का विरोधी
नहीं’
सत्ता बदली तो नई जमात का बढा प्रभाव
उपेन्द्र कश्यप
1990 के दशक में रामबिलास सिंह की अध्यक्षता में ‘अनुमण्डल संघर्ष समिति’ का गठन किया। उसके बाद इसकी
काट में विरोधी जमातों ने भी अपनी अपनी राजनीति शुरु की। रफीगंज के लिए सत्येन्द्र
नारायण सिन्हा ( पूर्व मुख्यमंत्री ) का वरद हस्त प्राप्त इनके भांजा और विधायक
डा० विजय सिंह सक्रिय थे तो नबीनगर के लिए विधायक रघुवंश प्रसाद सिंह। ये सभी
तीनों कॉग्रेसी थे और सत्ता भी इसी पार्टी की थी। इनकी राजनीतिक लौबियां काफी
मजबूत थीं। सत्येन्द्र नारायण सिन्हा स्वयं सन् 89 में मार्च
से दिसम्बर तक मुख्यमंत्री रहे हैं। लेकिन नवीनगर और रफीगंज दोनों की कुछ
कमजोरियां थी। रफीगंज का अनुमण्डल बनना मदनपुर को स्वीकार्य नहीं था, भौगोलिक कारण सहित कई कारण थे। नवीनगर मुख्य पथ से जुड़ा हुआ नहीं था। इस
कमजोर कडी के बावजूद लेकिन कोशिशें जारी रहीं, मकसद वही था कि इस बहाने किसी एक को
अनुमंडल बनाने का अवसर अधिक हो।
अपने निधन से पूर्व तत्कालीन मंत्री
रामविलास सिंह ने अनुमंडल बनाने की चली राजनीति पर कई घंटे इस संवाददाता से बात
किया था। इस वार्ता में बताये तथ्यों एवं घटनाओं के अनुसार तब सदन में प्रत्येक शुक्रवार
को ‘गैर सरकारी संकल्प’ लाया जाता
था। विधायक रामबिलास सिंह ने सदन में दाऊदनगर अनुमण्डल बनाये जाने का प्रस्ताव
लाया और आंकड़ों के साथ तर्क दिया। इसी सदन में डा० विजय सिंह एवं रघुवंश सिंह ने
क्रमश: रफीगंज एवं नवीनगर को अनुमण्डल बनाये जाने का प्रस्ताव रखा। तब लोकदल से
विधायक बने रामबिलास सिंह ने सदन में कहा था- ‘मैं रफीगंज या
नवीनगर को अनुमण्डल बनाये जाने का विरोधी नहीं हूँ, मैं
चाहता हूँ कि दाऊदनगर अनुमण्डल बने। बेहतर होगा तीनों क्षेत्रों की तुलना की जाये
और जो सारी अहर्ता पूरी करता हो उसे अनुमण्डल बना दिया जाये।’ सदन के अध्यक्ष ने व्यवस्था दी की- ‘सरकार विचार
करेगी।’ मामला फिर लटक गया। सन् 1990 में
बिहार विधानसभा का चुनाव हुआ और सत्ता का स्वरूप बदल गया। सामाजिक बदलाव का नारा
बुलंद करने वाले लालू प्रसाद को मुख्यमंत्री बनाया गया। जातीय, राजनीतिक समीकरण प्रभावित हुए तो स्वाभावतः सत्ता का भीतरी चेहरा भी
प्रभावित हुआ। सत्ता के गलियारे में नयी जमात का प्रभाव बढ़ना शुरू हुआ। तब सरकार
के एक आयुक्त (कोइ श्रीवास्तव-रामविलास बाबु को याद नहीं) ने रामबिलास सिंह को
बताया कि अनुमण्डल गठन की बात चल रही है, सूची तैयार है और
उसमें दाऊदनगर का नाम भी है। फिर वे सक्रिय हुए। 31 मार्च 1991
को दाऊदनगर अनुमण्डल का विधिवत उद्घाटन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने
किया और बतौर क्षेत्रीय विधायक एवं कारा सहायक पुर्नवास मंत्री रामबिलास सिंह इस
समारोह में उपस्थित रहे। यह अनुमंडल कार्यालय परेड ग्राउंड के पास तरार में शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के एक भवन में
प्रारंभ हुआ।
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