शहरनामा-उपेन्द्र
कश्यप
बेचने
की चर्चा खूब हो रही है| जिला इस शब्द से परेशान है| बहुत कुछ बेचने की बात हो रही
है| बीबी बेचने की बात से विवाद शुरू हुआ था| राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियाँ बनी|
मुद्दा खूब उछला| पूरे प्रकरण में यह बात समझ से परे रही कि बेचने के मुद्दे में
इमानदारी कैसे घुस गयी| क्यों घुस गयी| भाई मेरे, किसी को समझाने के लिए ही सही
कहा तो यही गया था न कि शौचालय के लिए बीबी बेच दो| अब इसमें कहने वाले की
इमानदारी और सच्चरित्रता का मामला कैसे पैबंद हो गया| बोलना अलग है और इमानदार
होना अलग है| यह इमानदार शब्द बहुत व्यापक है| इसका अर्थ सीमित नहीं होता| इमानदार
होना मतलब सिर्फ घुस नहीं लेना नहीं होता| कोइ व्यक्ति काम कैसे करता है, कितना
करता है, सामाजिक दायित्वों का निर्वहन कितना करता है? अपने पद के साथ कितना न्याय
करता है, यह भी और इससे भी अधिक व्यापक दायरा है इस शब्द का| याद है, दारोगा भी
इमानदार ही बताये गए थे और चुनाव जीत गए| कोइ इमानदार है या नहीं, यह सर्टिफिकेट
देना कहाँ तक उचित है? किसे अधिकार है कि वह इमानदार होने का सर्टिफिकेट बांटे| इमानदार
नहीं होना बेईमान होना भी नहीं है| इसलिए कि किसी को बेईमान कहने का हक भी किसी को
नहीं है, जब तक कि प्रमाण न हो| खलने वाली बात यही है कि बोल वचन के मामले में गलत
या सही पर बहस होनी चाहिए थी कि जो बोला गया वह कितना गलत है या कितना सही? कई भाई
लोग एक तय रेखा से अधिक दूर तक समर्थन में गए और इमानदार होने का राग अलापने लगे| उन्हें
भी भला बुरा कहा गया|
बेचने
की बात बोलने का मामला तो लेखक की जात वाले का भी है| भाई खूब गरज रहे हैं-अब नहीं
बिकेगी, नहीं रोकी जायेगी खबर| अकड अच्छी नहीं होती| कलम का अहंकार मत करो मित्र|
एक से एक कलमकार भरे पड़े हैं| तुम्हारी सोच से आगे की नजर रखने वाले बहुत हैं भाई|
इसलिए बड़ बोलापन अच्छा नहीं होता| बच्चे हो, बड़े बनो, बड़े दिखने की कोशिश मत करों|
और
अंत में –
पर
उपदेश कुशल बहुतेरे| दूसरों को उपदेश देने में बहुत लोग कुशल होते हैं| बात अब
इससे आगे निकल गयी है| उपदेश से अधिक कुशलता लोगों ने आरोप लगाने की हासिल कर ली
है| उपदेश देने से अधिक सहज है आरोप लगाना| क्यों कि इसके लिए पढने की भी जरुरत
नहीं होती|
इस बात पर जिलाधिकारी महोदय कंवल तनुज को टैग करते हुए मैंने भी फेसबुक पर कुछ लिखा था, आपने पढ़ा भी है। मुख्य मुद्दे से भटकर ज्यादातर लोग उनके पिछले रिकार्ड की ओर भाग रहे थें, जो कि उनके शब्दों का चयन सही या गलत कतई नहीं बता सकता है।
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