अतीत से
घोषणायें होती हैं, अमल नहीं होता- डा.बी.के.प्रसाद
पुरानी पर्टियों के पास ही
हैं एजेंडे
नये दल परिवार या व्यक्ति
केन्द्रित
उपेन्द्र कश्यप, दाउदनगर
(औरंगाबाद) चुनाव में गत पांच दशक में काफी कुछ बदल गया है। बिहार विधान सभा चुनाव
की आहट सुनाई पडने लगी है। 75 वर्षीय सेवानिवृत चिकित्सा पदाधिकारी डा.
बी.के.प्रसाद का मानना है कि काफी परिवर्तन हुआ है। नेताओं द्वारा खूब घोषणायें की
जाती हैं, किंतु उस पर अमल नहीं किया जाता है। कहा कि पहले पार्टियों के पास
एजेंडा हुआ करता था जो अब सिर्फ पुराने दलों के पास बचा हुआ है। नये दल परिवार या
व्यक्ति केन्द्रित हैं। कहा कि लोग नेताओं के सभा में कार्यक्रम देखने नेताओं को
सुनने खुद उत्साहित होकर जाया करते थे। अब तो भीड भी भाडे पर जुटाई जाती है। जनता
खुद सपोर्ट किया करती थी। पहले उतने विकल्प नहीं थे क्योंकि पार्टियां कम थी, अब
विकल्प खूब हैं। कहा कि घोषित तमाम योजनाओं का कार्यांवयन प्रखंड स्तर से होता है।
इसलिए ब्लाक में अधिकारियों की संख्या बढायी जानी चाहिए। योजनाओं का कार्यांवयन हो
रहा है या नहीं इसकी सख्त निगरानी होनी चाहिए। कहा कि अब अधिकारी सुपरविजन नहीं
करते हैं। अधिकारी किसी की सुनते नहीं हैं। फंडों का आडिट होते रहना चाहिए। कहा कि
जाति और धर्मवाद से बचने का एक ही रास्ता है शिक्षित होना। शिक्षित होने का मतलब
एमए. बीए. का सर्टिफिकेट लेना नहीं बल्कि ज्ञान प्राप्त करना है।
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