सुभाषचन्द्र बोस से जुडी हैं इलाके की यादें
गया जिला सम्मेलन में आये थे “नेताजी”
शिलान्यास के कई हो गए पत्थर जमींदोज
उपेन्द्र कश्यप,
दाउदनगर (औरंगाबाद) : शुक्रवार को सुभाषचन्द्र बोस की जयंती मनाई गई। कहीं कोई
नामलेवा नहीं मिला। जबकि 76 साल पुराना स्मरण उनके जीवन से जुडा हुआ है। दाउदनगर-बारुण रोड में शहर से करीब चार किलोमीटर
दूर स्थित है सुभाष आदर्श उद्योग मंदिर चौरम। यहां 9-10 फरवरी 1939
को चतुर्थ गया जिला राजनीतिक सम्मेलन का आयोजन किया गया था। आयोजनसे जुड़ी
स्मृति कलकत्ता संग्रहालय में सुरक्षित है। एक स्मृति चिन्ह (देखें फोटो) बड़ी जतन
से विजय यादव ने संभाल रखा है। इनका जन्म 1956 में हुआ था।
इनके पिता राजपति सिंह, जो आजीवन
सरपंच व भूदान कमिटी के सदस्य रहे थे - ने यह स्मृति चिन्ह रखा था। नेताजी सुभाष
चन्द्र बोस तब कोलकता से यहां आए थे। उन्होंने अंग्रेजों को ललकारते हुए कहा था कि
वे रोज गोली चला रहे हैं, यह अब
बर्दाश्त से बाहर हो गया है। 'तुम मुझे खून
दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा' का नारा बुलंद
किया था। यह वही चौरम आश्रम है जहां आजादी के दीवाने राजनीति का पाठ पढ़ अपने अंदर
जज्बा और हौसला भरते थे। ऐसे लोगों में पूर्व मंत्री (अब स्वर्गीय) रामनरेश सिंह, रामविलास सिंह, राम नारायण सैनिक, केशव सिंह, जगेश्वर दयाल सिंह,
जगदेव लाल केशरी शामिल थे। कुमार बद्री नारायण की जमींदारी में बसा चौरम तब काफी
महत्वपूर्ण था। तत्कालीन गया जिला और वर्तमान मगध प्रमण्डल में चौरम को राजनैतिक
जिला सम्मेलन के लिए चुना गया। इस आयोजन की सबसे बड़ी सफलता यह रही थी कि सैकड़ों
किसानों को जमींदारी से मुक्ति मिली थी। कुमार बद्री नारायण ने अपनी चार सौ बिगहा
जमीन किसानों के बीच बांट दी थी। इस स्थल को संरक्षण की जरूरत थी लेकिन शिलान्यास
के कई पत्थर जमींदोज हो गए। जमीन का बड़ा हिस्सा बेच दिया गया या अतिक्रमित कर ली
गई। मात्र पांच एकड़ जमीन जो स्कूल खोलने के लिए बिहार के राज्यपाल के नाम निबंधित
है वही सुरक्षित बचा हुआ है। इस जमीन पर भी कुछ लोगों की नजर गड़ी है। अगर यहां कुछ
पक्का निर्माण न हुआ तो कहीं ऐसा न हो कि इस भूखंड को भी भविष्य में खोजना पड़े।
यहां कोई भी संस्था इस मुद्दे को लेकर सक्रिय नहीं हैं। मात्र आयोजन के स्मृतिशेष
कुछ बुजुर्ग जेहन में बचे हुए हैं।
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