“श्री गणेशाय नम:” से होता है अक्षरारंभ
सरस्वती पूजा है। सनातन धर्म में इन्हें विद्या की अधिष्ठात्री देवी माना गया है। इस
दिन बच्चों को पेंसिल पकडाकर अक्षरारंभ करते हैं। प्राय: “श्री गणेशाय नम:” लिखते
हैं। इस शब्द को प्रारंभ का सूचक माना गया है। पं.लालमोहन शास्त्री ने बताया कि
बच्चे इस दिन अक्षरों की पूजा करते हैं। नैवेद्य चढाते हैं। इसके बाद पाठशाला भेजा
जाता है। अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतू बच्चे बैर और आम की मंजरी चढाते हैं। धारणा
है कि इसके सेवन से लिखने और बोलने की क्षमता विकसित होती है। महर्षि व्यास ने बैर
फल को तीब्र बुद्धि अढाने वाला बताया है। बताया कि वसंत पंचमी में वाद्य यंत्रों की पूजा की जाती है। ढोलक की थाप पर
“होली” का गायन प्रारंभ होता है जो चैत के प्रथम मंगलवार तक चलता है।
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