फोटो- मन्दिर और शिवलिंग
पहली
बार....
ब्रह्म रामायण में है इस स्थान की चर्चा
गरीबनाथ महादेव की पूजा की थी राम ने
उपेन्द्र कश्यप
गोह
प्रखंड का गोरकट्टी गांव पौराणिक काल का हो सकता है। यह अगर प्रमाणित हो जाये तो ग्रामीणों
के लिए बडी खुशी की बात होगी, लेकिन इतिहास के लिए महत्वपूर्ण होगा। यहां गांव से
दूर पुनपुन के तट पर एक गरीबनाथ महादेव मन्दिर है। मन्दिर कब बना इसकी धुन्धली
यादें हैं। सत्तर वर्षीय सरयु सिंह बताते हैं कि उनके सामने ही मन्दिर बना है। तब
वे तीसरी कक्षा में पढते थे। संभवत: 1956 में। इनके अनुसार जब भगवान राम गया
पितृपक्ष में गये थे तो वहां से देव सूर्य मन्दिर जाने के क्रम में यहां रुके थे।
श्री सिंह और शैलेश सिंह ने बताया कि जब मन्दिर का निर्माण हो रहा था तब पीपल के
वृक्ष के नीचे शिवलिंग पडा हुआ था। कहते हैं ताडुका का भाई सुबाहु भी यहां पुजा के
लिए आता था। जब मन्दिर का निर्माण हो रहा था तो लोगों ने सोचा कि बनारस से बडा
शिवलिंग लाकर यहां प्रतिस्ठापित किया जाये तभी रात्रि में स्वत: यह शिवलिंग पेड के
नीचे से उठकर मन्दिर के गर्भ में स्थापित हो गये। तभी से इसका महत्व बढ गया।
पं.लालमोहन शास्त्री ने बताया कि ब्रह्म रामायण में कहा गया है कि ‘च्यवनेश्वर
शिवम पश्येत गोश्ठिल तीर्थ मुतम’। अर्थात देवकुंड का दर्शन करने के बाद गोष्ठिल
(अब-गोरकट्टी) में च्यवनेशवर महादेव का दर्शन करें। राम यहां आए और दर्शन किया।
बताया कि यह उज्जैन का उप ज्योतिर्लिंग है। दोनों की संरचना लगभग एक समान है-उपरी
शिरा चिपटा। दादर के वेंकटेश शर्मा, भजयुमो के जिला उपाध्यक्ष दीपक उपाध्याय, धीरज
सिंह चौहान एवं प्रमोद पासवान ने इस स्थान को पर्यटन केन्द्र के रुप में विकसित
करने की मांग की है।
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