2019 में 25 मई को टीवी पर दिख रहे दोबारा जीते नरेंद्र मोदी। |
क्या खत्म हो जाएगा भ्रष्टाचार?
नहीं बढेगी महंगाई?
उपेन्द्र कश्यप
लोकसभा चुनाव के परिणाम का विश्लेषण किया जा रहा है। सब
कहते हैं कि विकास और भ्रष्टाचार मुद्दा बना। क्या आपको इस पर विश्वास है? कितने
मतदाता यह मनते हैं कि नमो सारी समस्याओं पर नियंत्रण पा लेंगे? आप जनता से
पुछिए-अधिकतर का जबाव नकारात्मक मिलेगा। मैंने पुछा है। फिर क्या वजह रही इस बडी
जीत की?
यह फैसला बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक ध्रुवीकरण का नतीजा है।
नमो को जिस तरह टारगेट करने में विपक्षी भाजपा को भूल गए और मुस्लिम मतों को अपने
पाले में करने की आपाधापी में बेहुदा बयान दिए उसका फलाफल है यह। नमो को गलियाने
वाले अधिकांश मुस्लिम नेता और बहुत हद तक हिन्दु गैर राजग नेता अपनी जमानत नहीं
बचा सके। ऐसा इसलिए हुआ कि हर दल सिर्फ मुस्लिम मत लेने की होड में हिन्दु जनभावना
को छेडते रहे। कोई सीखने के लिए तैयार नहीं दिखा। गुजरात से भी कांग्रेस ने सबक
नहीं सीखा। जब तीन बार गुजरात ने नमो को सीएम बनाया तो क्या एक खूनी को बनाया? मौत
का सौदागर जैसे बयान का वह हश्र था। कांग्रेस आगे बढी और हिन्दुओं को चिढाने वाला बेतुके
बयान देती रही। क्या कभी हिन्दुओं ने मुस्लिमों के विकास का विरोध किया है?
वास्तविकता यह है कि किसी स्वंभु सेकुलर दल ने मुसलमानों के विकास की चिंता तक
नहीं की सिर्फ बयानबाजी किया। नीतीश ने विकास किया तो मुस्लिमों ने उन्हें नकार
दिया। साफ कहा कि जो भाजपा को हराएगा उसे वोट देंगे। सब भाजपा को और नमो को रोकने
में लगे रहे और नमो अपनी गति से आगे बढते रहे। पीएम कहते है संसाधनों पर अल्पसंख्यकों
का हक है। क्यों भाई वह खास क्यों हैं? कह सकते थे हर भारतीय का हक है। सिन्दे
बोले- जेल में बन्द अल्पसंख्यकों की समीक्षा कर जेल से बाहर करें। क्या यह वोट
बैंक की राजनीति नहीं थी? जेल में जाकर देखिए 100 रुपए की चोरी करने वाला गरीब कई साल
से कैद है। ऐसे केस में हिन्दु मुसलमान सिक्ख इसाई सभी शामिल हैं। फिर इस तरह के
बयान क्यों? कोई भारत माता को डाइन कहकर सेकुलर है कोई मुजफ्फरनगर तो कोई भागलपुर
और सिक्खों का नरसन्हार कराकर सेकुलर है। कश्मीरी पंडित और बंगलादेशी घुसपैठ की
बात करने वाला सांप्रदायिक है और आतंकियों के प्रति नरमी का दिखावा कर
अल्पसंख्यकों को परोक्षत: आतंकवाद से जोडने वाले सेकुलर हो जाते हैं। टिका और टोपी
की बात हुई। कितने मुस्लिम नेता टिका लगाते हैं हिन्दुओं के वोट के लिए? देश में
कितने मुस्लिम सांसद या विधायक बन सकते हैं बिना हिन्दु वोट लिए। फिर वे क्यों
नहीं टिका लगाते, छठ का प्रसाद वितरण कराते , मन्दिर कितने मुस्लिम जाते हैं उसे
पर्यटन स्थल ही समझ कर। कितने हिन्दु मिलेंगे जो जीवन में मस्जिद या मजार नहीं गया
हो? खोजिए.. यकीन मानिए थक जाइएगा। क्यों हमें मस्जिद मजार गुरुद्ववारा या किसी के
धर्मस्थल जाने से परहेज नहीं। इससे हिन्दुत्व या सनातन धर्म खतरे में नहीं पडता। नमो
की सभा में बम फुटे तो सरकार का रुख क्या था? अगर मौके पर आतंकी नहीं पकडे जाते तो
बोधगया की तरह इसे भी भाजपा और संघ की देन बताने में देर नहीं करते नीतीश। आज वे
कहां खडे हैं? सिर्फ मुस्लिम वोट के लिए उन्होंने भाजपा छोडा था हश्र देख लिजीए।
जो नहीं चेतेगा उसका हश्र कांग्रेस जदयु सपा राजद जैसा ही होगा। जो हिन्दु या
संगठन मुस्लिम तक लाभ पहुंचाने का विरोध करे उसे कडी सजा दो मगर ड्रामा मत करो।
मुस्लिमपरस्ती के खिलाफ यह जनादेश है मुस्लिम के विकास के खिलाफ कभी हिन्दु हो ही
नहीं सकता। ‘नमो को पीएम बनने पर देश टूट जाएगा’ का राग अलापने वाले अब क्या उसे
रोक सकेंगे। क्या यह कहकर मुस्लिमों को डराने या मुख्यधारा से उसे अलग करने की
प्रेरणा नहीं दे रहे थे?