यहां मुख्य शिवलिंग के अतिरिक्त भी हैं कई देवी देवता
देवकुंड धाम शब्द बताता है गांव नहीं समुदाय का था मंदिर
उपेंद्र कश्यप, जागरण ● दाउदनगर (औरंगाबाद) :
देवकुंड मंदिर परिसर में आप कभी भी जाएंगे तो कई स्थान ऐसे हैं जहां लोग पूजा करते दिखेंगे। कहीं बिल्व पत्र चढ़ाते हैं, कहीं सिंदूर, रोरी, अक्षत और चंदन चढ़ाते हैं और हवन कुंड भी अलग है। पूरे मंदिर परिसर में एक नहीं बल्कि कई स्थानों पर यहां आए श्रद्धालु पूजा अर्चना करते हैं। मुख्य मंदिर में गर्भ गृह के बाहर भी कई देवी देवताएं हैं, जिनकी पूजा अर्चना की जाती है। मंदिर के प्रवेश द्वार से सटे भी मंदिर है, जहां पूजा अर्चना की जाती है। यह सब यूं ही नहीं है। आमतौर पर एक ही मंदिर परिसर में पूजा के कई स्थान विभिन्न मंदिरों में मिलते हैं। लेकिन यहां एक बड़े परिसर में कई स्थान पूजा के लायक हैं और खुले के साथ-साथ मंदिर भी बने हुए हैं। यह सब यूं ही नहीं है। आमतौर पर देवकुंड मंदिर शब्द का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन वास्तव में इसे देवकुंड धाम बोला जाता है। धाम का मतलब ही होता है कि इस परिसर में एक नहीं बल्कि कई शिव मंदिर थे।
कई काल खंड में हुए हैं निर्माण कार्य
हेरीटेज सोसाईटी के महानिदेशक डा. अनंताशुतोष द्विवेदी बताते हैं कि इसे धाम कहा जाता है। इससे साफ संकेत मिलता है कि परिसर में एक नहीं बल्कि कई शिवालय थे। एक ही शिव मंदिर यहां नहीं रहा होगा। यह गांव का नहीं बल्कि समुदाय का मंदिर परिसर था। जहां एक बड़े क्षेत्र से लोग शिव की आराधना करने आते थे। बताया कि कई काल खंड में यहां निर्माण के काम हुए हैं। आसपास गांव रहे हैं। इस बात का वहां पुरातात्विक साक्ष्य भी मिला है।
शिवलिंग का परीक्षण होना आवश्यक
मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित शिवलिंग को नीलम का बताया जाता है, लेकिन जानकारों की मानें तो अरघा प्राचीन है लेकिन यह शिवलिंग प्राचीन नहीं है। महंत कन्हैयानंद पूरी बताते हैं कि जब केदार पुरी इसके महंत थे तब इस बात का परीक्षण शायद हुआ था कि शिवलिंग नीलम का है या नहीं। महत्वपूर्ण है कि केदारपुरी 1974 से 1990 में अपनी हत्या होने तक यहां के महंत थे।
भगवान राम ने किया था शिवलिंग स्थापित
देवकुंड धाम के महंत कन्हैया नंदपुरी बताते हैं कि महर्षि च्यवन का यह आश्रम है। यहां भगवान राम द्वारा शिवलिंग की स्थापना की गई थी। देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में देवकुंड का शिवलिंग भले शामिल नहीं है, लेकिन उज्जैन के महाकाल का इसे उप ज्योर्तिलिंग कहा जाता है। कर्मकांडी और इस क्षेत्र के धार्मिक इतिहास के जानकार आचार्य लालमोहन शास्त्री भी मानते हैं कि यहां का शिवलिंग उज्जैन के महाकाल का उप ज्योतिर्लिंग है।
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