एक ही शिवलिंग में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कल्पना साकार
ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित शिवलिंग को किया गया है संरक्षित
उपेंद्र कश्यप, जागरण ● दाउदनगर (औरंगाबाद) : देवकुंड मठ के महंत कन्हैया नंद पुरी ने जब मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य प्रारंभ कराया और इसके लिए मंदिर परिसर में खुदाई का काम शुरू हुआ तो एक शिवलिंग निकला। यह घटना 2018 की बताई जाती है। इस शिवलिंग की कई विशेषताएं हैं। इसे पालकालीन बताया जाता है। अर्थात लगभग 1200 से 1300 साल पुराना आया है। प्रतिमा विज्ञान के अनुसार इस शिवलिंग में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का मिश्रित साकार रूप है। हेरीटेज सोसाईटी के महानिदेशक डा. अनंताशुतोष द्विवेदी बताते हैं कि इस शिवलिंग का निर्माण अष्टांगुल शैली में है। सबसे नीचे का भाग अष्टकोणीय बना हुआ है। जिसे अरघा में स्थापित किया जाता है। इस शिवलिंग की विशेषता यह है कि जो लिंग आकार में है, जिस पर श्रद्धालु जल डालते हैं, वह रुद्र भाग कहा जाता है। शिव का एक नाम रूद्र भी है। इसके नीचे अष्टकोणीय निर्माण होता है जिसे अरघा (स्त्री भाग) में रखकर स्थापित किया जाता है। क्योंकि यह अष्टकोणीय होता है इसलिए इसे विष्णु भाग कहते हैं। और सबसे नीचे जो शिवलिंग का तीसरा हिस्सा होता है वह चार कोणीय है। इसलिए इसे ब्रह्म पीठ कहते हैं। यानी एक ही शिवलिंग में सबसे नीचे ब्रह्म पीठ, मध्य में विष्णु पीठ और अग्रभाग जो दिखता है वह रूद्र पीठ है। डा. अनंताशुतोष के अनुसार सातवीं आठवीं सदी का यह शिवलिंग हो सकता है। बनावट की कला के आधार पर यह कहा जा रहा है।
ग्रिल से सुरक्षित, होती है पूजा
मंदिर निर्माण के समय खुदाई के दौरान जब यह शिवलिंग मिला था तो इसका महत्व लोग नहीं समझ पा रहे थे। बस सामान्य शिवलिंग की तरह इसे देखा गया। लेकिन जब पुरातत्व विदों ने इसके पालकालीन होने की बात कही तो इसे संरक्षित करने के लिए मंदिर परिसर में ही स्टील के ग्रिल से इसे सुरक्षित कर दिया गया। स्टील का यह ग्रिल ऐसा निर्मित किया गया कि लोग इसे सहजता से देख सकें। अब श्रद्धालु इसकी पूजा भी करते हैं।
क्षेत्र में पालकालीन शिवलिंग की उपलब्धता
हेरिटेज का मगध नाम से मगध क्षेत्र के धार्मिक पौराणिक स्थलों पर डाक्यूमेंट्री बनाने वाले धर्मवीर भारती कहते हैं कि देवकुंड ही नहीं बल्कि दाउदनगर अनुमंडल का शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण क्षेत्र, इस क्षेत्र में
पालकालीन शिवलिंग की उपलब्धता खूब है। पौराणिक मंदिरों के अवशेष मगध के इस पश्चिम क्षेत्र में खूब मिलते हैं। देवकुंड के साथ-साथ भृगुरारी, दाउदनगर शहर के कई मंदिर और अरवल का मधुश्रवा इसके उल्लेखनीय प्रमाण हैं।
प्राचीन मूर्तियों पर रहती है चोरों की नजर
इस क्षेत्र में प्राचीन शिवलिंग विशेष कर पाल कालीन खूब मिलते हैं। यही कारण है कि चोरों की नजर क्षेत्र के शिवालयों और अन्य मंदिरों पर रहती है। इस क्षेत्र में न सिर्फ शिव के बल्कि राम, कृष्ण, जानकी, भगवती की प्रतिमाओं की चोरी की घटनाएं खूब हुई है। दाउदनगर अनुमंडल मुख्यालय से नौ किलोमीटर दूर हसपुरा प्रखंड का एक गांव है सिहाड़ी। यहां अहिल्याबाई होल्कर द्वारा निर्मित शिव मंदिर है। यहां के ठाकुरबाड़ी स्थित राम जानकी दरबार की मूर्तियां कर उठा कर ले गए चोर। मढ़ी धाम से मां भगवती की प्रतिमा की चोरी हुई थी। जिसमें अंतरराज्यीय गिरोह के 12 सदस्य गिरफ्तार हुए थे। बाद में प्रतिमा भी बरामद हुई थी, और तब यह बताया गया था कि चोरी की गई इस प्रतिमा का बाजार मूल्य लगभग 50 लाख रुपये है। डुमरा के ठाकुरबारी से राम जानकी की प्रतिमा चोरी हुई थी। इसलिए इस तरह की महत्वपूर्ण प्रतिमाओं की सुरक्षा की चिंता भी बनी रहती है।