कैमरे लगाए जाने से सुरक्षा होगा शहर का दुरुस्त
अपराधियों को अपराध करने में होगी बड़ी मुश्किल
दाउदनगर थाना में रहेगा इससे संबंधित मशीनरी
प्रमाण के लिए कभी भी निकाले जा सकते हैं फुटेज
दाउदनगर (औरंगाबाद) : नगर परिषद क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरा लगाए जाएंगे। लगभग एक दर्जन स्थानों पर कैमरा लगाया जाना है। स्थान चिन्हित कर लिया गया है और एजेंसी को कैमरा लगाने के लिए कहा गया है। सशक्त स्थाई समिति के सदस्य कौशलेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि मौलाबाग, लखन मोड़, जगन मोड़, शुक बाजार मोर, छत्तर दरवाजा चौराहा, नगर परिषद के मुख्य द्वार, गुलाम सेठ चौक, स्वर्गीय रामविलास बाबू के घर के पास पुरानी शहर चौक पर, बारुण रोड चौराहा, कसेरा टोली चौक, बाजार मोड़ के पास कैमरा लगाया जाना है। माना जा रहा है कि जब शहर में इन स्थानों पर कैमरा लगा दिए जाएंगे तो अपराध की घटनाएं कम होंगी। कैमरे रात में भी होने वाली गतिविधियों को रिकार्ड कर सकेंगे। ऐसे में दिन हो या रात अपराधियों के लिए अपराध करना मुश्किल होगा। सब की गतिविधियां कैमरे में रिकार्ड होंगी और जरूरत पड़ने पर प्रमाण के लिए इनसे फुटेज भी लिए जा सकते हैं। शहर में लगाए गए सीसीटीवी कैमरा कि निगरानी दाउदनगर थाना से होगी। यानी सीसीटीवी कैमरे से संबंधित तमाम मशीननरी सुरक्षा के लिहाज से सुरक्षित थाने में रखा जाएगा। ऐसे में माना यही जा रहा है कि शहर में अपराध की गतिविधियों को रोकने और अपराध को अंजाम देने के बाद अपराधियों की तलाश करने में पुलिस को बड़ी सहूलियत होगी।
सीसीटीवी पर नहीं होगा नप का पैसा खर्च
फोटो- मुख्य पार्षद मीनू सिंह
नगर परिषद के मुख्य पार्षद मीनू सिंह ने बताया कि सीसीटीवी कैमरा इंस्टाल करने या इसके मेंटेनेंस पर नगर परिषद का कोई खर्च नहीं आएगा। बताया कि लगभग 80000 रुपया प्रति वर्ष की दर पर होर्डिंग लगाने के लिए एक कंपनी को हायर किया गया है। यह कंपनी ही सीसीटीवी कैमरा लगाएगी और शहर के विभिन्न स्थानों पर इसके द्वारा लगाए गए होर्डिंग से जो राजस्व की प्राप्ति एजेंसी करेगी उसी पैसे से सीसीटीवी कैमरा लगाने और इसका मेंटेन करने का काम किया जाएगा। सीसीटीवी कैमरा के मेंटेनेंस के लिए अलग से राशि नहीं दी जानी है।
2018 में मिली थी योजना की स्वीकृति
13 सितंबर 2018 को तत्कालीन स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में सीसीटीवी कैमरा लगाने पर विचार विमर्श किया गया था। स्थल चयन के लिए पीठासीन पदाधिकारी मुख्य पार्षद को अधिकृत किया गया था। इसमें खर्च होने वाली राशि के लिए तब आंतरिक संसाधन स्टांप ड्यूटी या सरकार द्वारा प्राप्त अनुदान मद की राशि से उपलब्ध करने की स्वीकृति प्रदान की गई थी।