राम मंदिर
आन्दोलन में दाउदनगर का भी रहा है योगदान
जन सैलाब ऐसा
कि आज तक न टूट सका भीड़ का रिकॉर्ड
- उपेंद्र कश्यप । दाउदनगर (औरंगाबाद)
आज रामजन्म
भूमि मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब भूमि पूजन कर रहे हैं तो
दाउदनगर भी इस आन्दोलन में स्वयं के सम्मिलित होने के कारण गौरव का बोध कर रहा है।
इस शहर ने भी मंदिर आन्दोलन में अपना योगदान दिया है और लोग उसे याद कर आज अभिभूत
हो रहे हैं। वर्ष 1988 में राम शिला पूजन आन्दोलन
के वक्त यहाँ भी शिला पूजन हुआ था। अयोध्या से यहाँ राम लिखी हुई शिलाएं आयी थीं।
उसे गाँव-गाँव, मोहल्ले-मोहल्ले वितरित की गयी थी। मान
सम्मान के साथ शिला जहां गयी, वहां 24 घंटे
का अखंड कीर्तन हुआ। फिर उसे सम्मान के साथ दाउदनगर लाया गया और तब उसे अयोध्या
भेजा गया। इस आन्दोलन में जो जन सैलाब उमड़ा था, वह एक
रिकोर्ड है और वह अभी तक नहीं टूटी है जबकि जनसंख्या इस बीच ढ़ाई गुनी से अधिक हो
गयी है। जो लोग उस आन्दोलन में शामिल थे, वे गौरव का बोध कर
रहे हैं। दिली इच्छा है कि भूमि पूजन में शामिल होते किन्तु कोरोना काल के कारण जो
स्थिति बनी है उस कारण आज अफसोस मात्र रह गया है। मंदिर बंटे देखना सबको सुखद लग
रहा है। मंदिर निर्माण के बाद उसके दर्शन के आकांक्षी सभी हैं।
186 शिला हुई थी वितरित-सुनील केशरी
तब विश्व हिन्दू परिषद के संयोजक रहे सुनील केशरी ने बताया कि 186 शिला वितरित की गयी थी। बाबा बिहारी दास संघत में। देहात का पहले, दूसरे दिन शहर की शिला इकठा की गयी। दो दिन वितरण और दो दिन इकट्ठा करने में लगा था। सवा सवा रुपया हर घर से इकट्ठा किया गया था। 80 से 90 तोरण द्वार शहर में बनाये गए थे। शहर का भगवाकरण कर दिया गया था। कसेरा टोली में बर्तन से तोरण द्वार बना था। सीआरपीएफ़ तैनात था सुरक्षा के लिए। पंचायत स्तरीय झांकी प्रतियोगिता हुई। मखरा, अंछा से कई झांकिया आई थीं। एक माह यह पूरा प्रकरण चला था। रमेश प्रसाद कोषाध्यक्ष थे।
- गड़बड़ी न हो थी इसकी जिम्मेदारी-नरेंद्र देव
तब जुलुस के सुरक्षा प्रमुख थे कुमार नरेंद्र देव। बताया कि कुछ गड़बड़ी न हो इसकी जिम्मेदारी उनके साथ तब बजरंग दल के अध्यक्ष राजाराम प्रसाद को दी गयी थी। यमुना प्रसाद ईंट को सुरक्षित रखवाते थे। सीमेंट से बने सभी ईंट पर राम राम लिखा हुआ था। ईंट जगदीश काँस्यकार के आवास पर रखा जाता था। यहां से जिला गया, फिर वहां से अयोध्या गया। ई.शम्भू जी, गोपाल सोनी, गोपाल गुप्ता, गोपाल प्रसाद शिक्षक सुरक्षा टीम में शमिल थे। गांव से जुलूस आया। हर गांव वाला अपने गांव का नाम लिखा बैनर रखता था।
- चौकस प्रशासन का था भय-सुरेश कुमार
आरएसएस के मुख्य शिक्षक रहे सुरेश गुप्ता ने बताया ईंट मध्य रात्रि के बाद आया था। प्रशासन चौकस था कि कहां रखा जाएगा। विहिप और संघ के कहने पर अपनी निगरानी में रखवाया। पुलिसिया रौब जबरदस्त था। कोई सामने आने को तैयार नहीं था। तय तिथि पर गांव से लोग जुटे। कार्यक्रम का अध्यक्ष विजय सिंह मुखिया एवं राम चन्द्र प्रसाद उर्फ़ फेकू साव को पूजा मंत्री बनाया गया था। ताकि कोइ बोले नहीं।
- शांति का लोहा माना प्रशासन-राजाराम
तब बजरंगदल के अध्यक्ष थे राजाराम प्रसाद। बताया कि वैसा जुलूस आज तक नहीं हुआ। वह भी शांतिपूर्वक। 50 हजार की भीड़ रही होगी। पुलिस प्रशासन ने भी लोहा मान लिया। भीड़ नहीं जनाब रेला, और वह भी उत्तेजना के बावजूद पूरी तरह शांतिपूर्वक। सबको खाने के लिए घर घर से पांच आदमी का भोजन मांगा गया था, ताकि गांव से आये लोगों को दिया जा सके। इसके लिए घर-घर पोलोथिन वितरित किया गया था। भोजन बांटने की व्यवस्था गर्ल्स है स्कूल में थी। रोज समीक्षा बैठक सरस्वती विद्या मंदिर में होती थी।
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