जुर्माना लगाने वाले सत्ता-तंत्र को भी हर्जाना भरने के लिए तैयार करो
यह तो संभव नहीं है लोकतंत्र में कि जनता को जबरन जुर्माना के लिए मजबूर किया जाए और सत्ता व तंत्र को छुट्टे सांड की तरह छोड़ दिया जाए? उसको जिम्मेदारी मुक्त रखा जाए?
0 उपेंद्र कश्यप 0
नए यातायात नियम को लेकर बवाल
है। जायज भी लगता है। सड़क यातायात में सुधार और सड़क हादसों में कमी की उम्मीद इससे
है। लेकिन सवाल यह भी है कि जनता जुर्माना तो भरने को मजबूर है, क्या जुर्माना लगाने वाले
सत्ता-तंत्र को भी हर्जाना भरने के लिए तैयार नहीं किया जाना चाहिए? आखिर यह तो संभव नहीं है लोकतंत्र में कि जनता को जबरन जुर्माना के लिए
मजबूर किया जाए और सत्ता व तंत्र को छुट्टे सांड की तरह छोड़ दिया जाए? उसको जिम्मेदारी मुक्त रखा जाए? नए यातायात जुर्माना
दर का एक बेहतर साइड इफेक्ट अब सामने आने लगा है। जनता सड़क की बेहतरी की मांग करने
लगी है।
सरकार को यह चाहिए कि
जिम्मेदारी तय करे। लाइसेंस दो-चार दिन में मिले। इसके लिए यदि जिम्मेदार अधिकारी
तंग करता है, रिश्वत लेता है
तो उससे 50 हजार जुर्माना वसूला जाना चाहिए। इसके लिए जांच
और सबूत देने/जुटाने का झंझट नहीं, सिर्फ लाइसेंस के लिए
आवेदन देने वालों द्वारा एक तय समय में तीन या पांच शिकायत ही पर्याप्त आधार माना
जाना चाहिए। ताकि डर का सिद्धांत यहां भी लागू हो। अधिक जुर्माना वसूली नियम के
पीछे डर का ही तर्क दिया गया है। इसके अलावा, सड़क पर गड्ढा
हो तो उसकी तस्वीर गूगल मैप और लोकेशन के साथ विभागीय एप (बनाया जाए) पर डाउन लोड
करते ही सड़क बनाने वाली एजेंसी, मेंटेनेंस के लिए जिम्मेदार
अधिकारी, राशि जिस जिस के हस्ताक्षर से जारी होती है,
उसके खिलाफ एक लाख का जुर्माना और तस्वीर पोस्ट करने वाले के खाते
में 25000 से 50000 का कैश गिफ्ट दिया
जाना तय हो। इससे सड़क निर्माण की गुणावत्ता के साथ मेंटेनेंस की स्थिति भी
सुधरेगी। क्योंकि सर्वाधिक सड़क हादसे इसी कारण संतुलन बिगड़ने से होते हैं। जहां
तहां रोड ब्रेकर बनाने, सड़क का एलाइमेन्ट ठीक नहीं होने,
दो बार सड़क बनाए जाने पर ज्वाइंट प्वाइंट पर तीखा उभार/गड्ढा के लिए
जिम्मेदारी तय हो, और यह भी एकतरफा नहीं, कार्य एजेंसी के साथ संबद्ध अधिकारी से हर्जाना वसूली हो और फोटो एप पर
लोड करने वाले के खाते में आधी रकम जाए।
इसके अलावा- सड़क यातायात ही
नहीं अतिक्रमण बड़ी समस्या है। सड़क अतिक्रमण से भी दुर्घटना घटती है। इसलिए जिस सड़क
पर भी अतिक्रमण दिखे, जनता फोटो एप
पर डाले तो सीधे वहां के थानाध्यक्ष, अंचल अधिकारी, एसडीपीओ, एसडीएम से जुर्माना वसूला जाए और फोटो
डाउनलोड करने वाले के खाते में आधी रकम जाए। यह सब जुर्माना भी एक लाख से कम न हो।
यह पक्का निर्माण वाले अतिक्रमण मामले में भी लागू हो, इसमें
निर्माण की स्वीकृति देने वाले अधिकारी से भी जुर्माना वसूला जाना चाहिए। सड़क
हादसे में मौत या घायल होने पर हत्या, हत्या का प्रयास करने
की प्राथमिकी सड़क बनाने और बनवाने में लगे अधिकारियों के विरुद्ध होनी चाहिए। ताकि
कोई जुर्रत न कर सके। क्या इतना होने के बाद आप कल्पना कर सकते हैं कि सड़क
दुर्घटना होगी? हां, एकदम न्यूनतम हो
जाएगी।
इतना कुछ करने के बाद जनता को
यातायात नियम मानने के लिए मजबूर करिये अन्यथा जब तक अधिकारियों की जिम्मेदारी तय
नहीं होती तब तक जुर्माने की वसूली का नियम स्थगित रहे।
एक और बात,
नए नियम में लचीलापन होना चाहिए। तुरंत सुधारिये जनाब। तीन बार तक
का चालान न भरने की आजादी हो, खास कर बाइक, ऑटो वालों के लिए। जो अपेक्षाकृत गरीब और कमजोर आर्थिक वर्ग के होते हैं,
और किलो दो किलोमीटर की यात्रा दिन भर में दर्जनों बार करनी होती है
उनको। तीन बार किसी का चालान एक निश्चित समय में (जो भी सरकार तय करे) काटे जाने
के बाद चौथी बार चालान कटने पर आपको न सिर्फ जुर्माना भरना होगा बल्कि ड्राइवरी
लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है। ऐसा प्रावधान हो। चौथी बार चालान का कटना मजबूरी
नहीं बल्कि प्रभावित को कानून नियम न मानने का आदतन 'अपराधी'
समझा जा सकता है।
बिल्कुल सही लिखे हैं। जबतक सुरक्षित यात्रा के लिए सही सड़क नहीं होगी तबतक दुर्घटना का भय बना रहेगा।
ReplyDelete-राजेश रंजन, ईटीवी भारत, औरंगाबाद
Great
ReplyDeleteShahi wichar
ReplyDelete