|
रात में जगमग दाउद खान का किला का मस्जिद |
रिपोतार्ज-उपेन्द्र
कश्यप, फोटो-दाउदनगर.इन के सदस्यों के सौजन्य से
किला का निर्माण कार्य सन् 1663 ई॰ में हुआ था प्रारंभ
दस
साल में बना था किला, गोह परगना का लगा था राजस्व
दाउदनगर,
दाउग्राम, या दाउनगर| जो भी आप अपनी सुविधा या आग्रहों के कारण कह लें| फर्क नहीं
पड़ता, क्योंकि कभी सिलौटा बखौरा रहा इलाका आज दाउदनगर ही जाना जाता है| आज एक नये
मुकाम पर यह शहर खड़ा है| गाँव से कस्बा, कस्बा से चट्टी (चट्टी में दाउदनगर- कहावत
मशहूर रहा है, अर्थ-देहाती या ग्रामीण बाजार), चट्टी से नगर (1885-नगरपालिका) और
अब नगर परिषद (द्वितीय श्रेणी का नगर) बन गया है| इस यात्रा क्रम में ढेरों आयोजन
हुए हैं| अनगिनत| कोइ रिकार्ड नहीं| खुद मैंने कई ऐसे आयोजन किए, जो प्रथम और अभी
तक आख़िरी बने हुए हैं| इस यात्रा का आज एक नया पडाव (माइल स्टोन) दिख रहा है|
दाउदनगरडॉटइन की टीम कुछ नया कर रही है| ख़ास और आकर्षक| सतरहवीं सदी के उत्तरार्ध
में किला का निर्माण कार्य सन् 1663 ई॰ (1074 हिजरी) में प्रारंभ हुआ था| दस साल इसके निर्माण में लगे| गोह परगना से
प्राप्त राजस्व इसके निर्माण पर खर्च हुए थे| पलामू फतह के बाद दाउद खान को गोह,
अन्छा और मनौरा परगना औरंगजेब ने भेंट किया था| बाकी इतिहास को आप मेरी पुस्तक-“श्रमण संस्कृति का वाहक-दाउदनगर” और ‘उत्कर्ष’
के
दो अंकों में पढ़ सकते हैं| खैर,
किला में यह प्रथम आयोजन
|
रात में जगमग दाउद खान का किला का मुख्य द्वार |
दाउदखान
का जर्जर किला आज धन्य हो गया होगा| पहली बार उसमें रह रहा भय का भूत भाग गया| रात
में जब किला में रोशनी हुई तो अंधियारा तो छटना ही था| वह छट गया| रंगीन रोशनी हर
आँख को भाती है, दाउद खान के रूह को भी भा गयी होगी| मस्जिद, दरवाजा और अन्य
स्थानों पर रंगीन रोशनी से सजावट की गयी| यह सब पहली बार हुआ, हो रहा है| करीब साढे
तीन सौ साल के इतिहास में किला के अन्दर संभवत: यह पहला आयोजन है| इससे किला की
रंगीनियत और शान बढ़ेगी, ऐसी उम्मीद कर सकता हूँ| लोगों की नजर भी पड़ेगी, किन्तु अतिक्रमणकारियों
का क्या अपनी जमीन में वापस चले जाने का जमीर जागेगा? जिन्होंने किला की जमीन ऐसे
कब्जा कर रखा जैसे, दाउद खान ने उनसे जमीन बेच दी हो?
बहुत
कुछ नया-नया
आयोजक
दाउदनगरडॉटइन
के संस्थापक मो.इरशाद अहमद ने बताया कि-दाउदनगर के लिए कुछ अलग होना चाहिए|
ब्रांडिंग हो, इस सोच के तहत नया करने की कोशिश करता चला गया और यह रूप रेखा तैयार
हुआ| ‘दाउदनगर उत्सव’
मनाने के लिए पूरी तरह तकनीक का इस्तेमाल इनकी टीम कर रही है| हर कार्यक्रम में यह
दिखेगा| गुब्बारे, हैण्ड बैण्ड, मैडल के रिबन और दर्शको-श्रोताओं को भेंट किए जाने
वाले मग पर भी ‘दाउदनगर
उत्सव’ प्रिंट किया हुआ है| मंच और प्रमाणपत्र तो खैर आकर्षक और नया
लुक का बना ही हुआ है| आज नये दाउदनगर का चेहरा दिख रहा है| कल कुछ और ख़ास होगा|
आखिर युवा शक्ति जो आगे आ रही है| उसमें ऊर्जा है, नया आइडिया है, नया विचार है,
जोश है और जज्बा है| कार्यक्रम होना है (जब यह लिख रहा हूँ, प्रारंभ की तैयारी चल
रही है), बेहतर होगा, आगाज से बेहतर अंजाम होगा, बस यही प्रतीक्षा व इच्छा है|
ऐतिहासिक धरोहर पर जायेगी नजर
दाउदनगरडॉटइन के सह संस्थापक नीरज कुमार गुप्ता कहते
हैं कि- कोशिश है कि लोगों की, अधिकारियों की नजर इस ऐतिहासिक धरोहर (किला) पर
पड़े, यह संस्था की चाहत है| शहर में बहुत से ऐसे लोग हैं जो अब तक किला नहीं देखे
होंगे| कई अधिकारी भी ऐसे ही हैं| सभी आज कल देख सकेंगे, यह कोशिश है| सबको किला
के बारे में जनाना, बताना मकसद है आयोजन का| देखने से ही विकास का रास्ता निकलता
है| कौन जानता है, कल कुछ नया, ख़ास और सकारात्मक परिवर्तन किला में दिखने लगे| अभी
तो सुबह की सैर होने से ही खुले में शौच से किला को मुक्ति मिल गयी है| हर कोशिश
कुछ जोडती है|
आज
सुनूंगा नया गीत तुम्हारा...
आज
एक सुखद अवसर भी मिलने वाला है| मो.इरशाद अहमद का गीत रिलीज होगा| बोल है- दाउदनगर है बड़ा
ही प्यारा, किला हमारी शान है, मिट्टी यहाँ की कहती है-मेरी भी एक पहचान है| धन्यवाद
इरशाद| आवाज दी है संदीप सिंह ने| बिहार गीत में संजय शांडिल्य (संजय अनिकेत) ने जिउतिया को जोड़ा था, जिसमें
मेरी और मेरे ‘उत्कर्ष’ का योगदान था, आज नया गीत लेकर आप आये हो| दाउदनगर पर गीत,
अच्छा ही लगेगा, हर दाउदनगरी को|
इसी
अपेक्षा के साथ दाउदनगरडॉटइन के सभी सहकर्मियों को साधुवाद| आगे बढ़ते रहो,
चरैवेति, चरैवेति....