गदहा कहो या गधा, इस चुनाव में प्रमुख किरदार में है| क्यों कि पहली बार उसने इंसान को उसकी औकात बतायी है|इंसान को सदियों बाद यह ज्ञात हुआ है| चुनाव जब सिर्फ राज्य के लिए न रह गया हो, राष्ट्र की नीति और राजनीति प्रभावित करने का माद्दा रखता हो तो फिर उसकी चर्चा दूसरे प्रदेश के कसबे तक होनी स्वाभाविक लगती है| सतरहवीं सदी का शहर दाउदनगर भी भला इससे कैसे अछूता रह जाता| गदहा की चर्चा सुनने के बाद अतीत में कभी डिक्शनरी के पलटते पन्ने पर दर्ज शब्द का ख्याल आया| खामोखाह गदहा या गधा को बदनाम किया गया है| अब उनमे अक्ल आयी है तो वे इंसान को उसकी औकात बताने में लगे हैं| गधा का अर्थ यह भी बताया जाता है कि-ग से गलत और धा से धारणा| मतलब कि गलत धारणा का संक्षिप्तीकरण गधा है| हद है न भाई| हकीकत भी तो यही है कि गधा आदमी से अधिक वफादार और ज्ञानी होता है| एक बार जिस रास्ते आवागमन कर लिया उस रास्ते को वह कंभी नहीं भूलता| आदमी तो ऐसा भी देखा कि धारावी (मुम्बई) में रास्ते की पहचान के लिए खडिया से निशान बना देता था| कौन जाने भला, संभव है अतीत की घटनाओं ने कभी उसे यह नाम दिया होगा| जब बन्दर ने कालान्तार में आदमी की यात्रा पूरी की तो यह भी तो संभव है कि गधा के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ हो? वर्त्तमान के अर्थ इतिहास में खोजे जाते हैं| मैंने भी खोजा तो पाया कि गधा या गदहा के साथ अतीत ने अन्याय किया है| हरदेव बाहरी का राजपाल से प्रकाशित शब्दकोष तो कुछ ऐसा ही संकेत देता है| संस्कृत में गदहा पुल्लिंग है जिसका अर्थ होता है-रोग हरने वाला वैद्य, चिकित्सक| अब समझे क्यों गदहे की चर्चा देश में है| सबने अपने हक़ की जंग शुरू की है| माध्यम दो नेताओं को बनाया है| जैसे नेता हमेशा किसी को मूंह, किसी को चेहरा और किसी को रणनीतिकार बनाता हैं| भाई, गदहा भी चिकित्सकीय प्रणाली से नेताओं की आत्मा में प्रवेश कर यह सब करा रहा लगता है| ध्यान रखिएगा| विचार करिएगा|
अंत में गधा पर शायरी--
डॉक्टर सुनील जोगी
बस्ती गधों की हो गई, जंगल गधों का हो
इतने दलों के बीच में एक दल गधों को हो|
पॉपुलर मेरठी- तू इन्हें देख मत हिकारत से
पत्थरों में गौहर भी होते हैं
सारे लीडर गधे नहीं होते
इनमें कुछ बाहुनर भी होते हैं|
Ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha
ReplyDeleteJay ho gadha mahRaj ki