36 घंटे बाद मिला
शव
15 घंटे बाद संस्कार
जयपुर से लौटी मां
का
रो-रो कर बुरा हाल
विजय की गुमशुदगी का मामला तीन दिन में हत्या का बन गया। करीब
36 घंटे की तलाश के बाद परिजनों व शुभचिंतकों को उसका शव मिला तो शव मिलने के करीब
पन्द्रह घंटे बाद उसका दाह संस्कार हो सका। इस बीच शव पूरी तरह खराब हो चुका था।
मृतक की मां सूर्यमणी कूवंर के लिए यह कठीन वक्त है। वह जयपुर (राजस्थान) अपनी बहन
के घर गयी हुई थीं। इधर इनका सबसे छोटा पुत्र मारा गया। उन्हें इसकी छद्म सूचन दी
गयी। उन्हें बताया गया कि उनकी पुतोह की तबियत खराब हो गयी है। बेटे जीतेन्द्र व
सतेन्द्र ने बताया कि मां को हार्ड की बीमारी है। इसले डर लग रहा है कि कहीं उसकी
हालत न खराब हो जाये। जैसे ही मां घर पहुंचीं ताबुत में सदा के लिए सो गये अपने बेटे
को देखने के लिए बेचैन हो उठीं। उनका रो-रो कर बुरा हाल था। घर के अन्य परिजनों की
स्थिति खराब हो गयी। सभी महिला सदस्य दहाड मार कर रो रही थीं। एक विलखती महिला का
सिर अपने हाथ में लिए मासूम को जिसने देखा उसकी आंखें छलछला गयी। घर में कोहराम
मचा हुआ है। हर कोई रोये जा रहा है। बच्चों को कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या हुआ
है और क्या हो रहा है? मृतक चार भाई में सबसे छोटा है। उसकी एक बहन भी है। वह
मैट्रिक पास होने के बाद इंटर में नामांकन कराना चाहता था। उसकी पढाई की इच्छा मौत
के साथ खत्म हो गयी है।
युवक की हत्या की वजह पता लगाना चुनौती
मामला विजय कुमार हत्याकांड का
हत्या के पीछे की
वजह साफ नहीं
मृतक के साथ भूमि या
संपत्ति विवाद नहीं
हत्यारे के मन में
था घृणा का भाव अधिक
बीस वर्षीय युवक की हत्या के मामले से शहर विचलित है। कई सवाल
उठ रहे हैं और फिलहाल जवाब नहीं मिल रहा है। पुलिस पुछती रही और कोई यह बताने को
तैयार नहीं कि हत्या के पीछे क्या-क्या आशंकायें हो सकती है? कौन हत्यारा हो सकता
है? हत्या से किसे लाभ हो सकता है या हुआ? ऐसे प्रश्न का उत्तर फिलहाल किसी के पास
नहीं है। नतीजा मामले को सुलझाना पुलिस के लिए बडी चुनौती है। शव देखने वालों के
अनुसार बडी निर्ममता से मारने वालों ने उसे मारा है। विजय के भाई जीतेन्द्र कुमार
व सत्येन्द्र कुमार तथा कामता प्रसाद ने बताया कि उसके सीने पर काफी चोट है। खुन
से लाल हो गया है यह हिस्सा। पानी में करीब 36 घंटा शव रहने से वह काफी खराब हो
गया है। बताया कि हाथ-पैर तोडा हुआ है। आश्चर्य की बात कि उसके बाल और मूंछ संभवत:
छिल दिये गये थे। इससे यह अनुमान होता है कि साधारण दुश्मनी नहीं बल्कि हत्यारे के
मन में विजय से काफी नफरत हो सकती है। अब इसकी वजह क्या हो सकती है यह भी पुलिस को
पता लगाना होगा। बताया गया कि हत्या के पीछे की वजह धन-संपत्ति या जमीन का विवाद
नहीं है। तो फिर आखिर किस वजह से इस कदर घृणा मिश्रित हमला कर हत्या की गयी? सवाल
अधूरा है और सबको पुलिस से गुत्थी सुलझाने की उम्मीद है।
चार दिन में एसआईटी
सुलझायेगी गुत्थी
संवाद सहयोगी,
दाउदनगर (औरंगाबाद) विजय हत्या कांड को सुलझाने के लिए एसआईटी का गठन किया गया है।
मृतक के घर पर ही इसकी घोषणा डीएसपी संजय कुमार ने एसडीओ राकेश कुमार की उपस्थिति
में की। बाद में उन्होंने अधिकारियों के संग बैठक भी की। बताया कि एसआईटी का गठन
कर दिया गया है। उम्मीद है कि चार दिन में मामले की गुत्थी पुलिस सुलझाने में
कामयाब हो जायेगी। बताया कि चार सदस्यीय विशेष कार्यबल में सर्किल इंस्पेक्टर
विन्ध्याचल प्रसाद, थानाध्यक्ष रविप्रकाश सिंह, एसआई साकेत सौरभ व सौकत खान को
शामिल किया गया है। डीएसपी ने बताया कि सभी को अलग-अलग कार्य की जिम्मेदारी दी गयी
है ताकि मामले का अनुसन्धान तेजी से हो सके। कहा कि वैज्ञानिक तरीके से अनुसन्धान
किया जाएगा। दोषियों को पता लगा कर उसके खिलाफ सख्त करर्वाई की जायेगी।
टाइम लाइन------
24.8 को 9 बजे
रात्रि- घर से निकला विजय कुमार
25.8 को शाम 7 बजे-
थाना को दी गयी सूचना
25.8 को रात 8 बजे-
थाना को दिये फोटो व विवरण
26.8 को सुबह 10
बजे- फिर थाना पर गये परिजन
26.8 को शाम शाम
7.30 बजे फिर गये थाना पर
27.8 को सुबह शव
होने की मिली सूचना पर तलाश
27.8 को 12 बजे विजय
का शव उमैराबाद मिला
27.8 को 11 बजे
रात्रि-अरवल से घर आया शव
28.8 को 07 बजे-
थाना पहुंची गुस्सायी जनता
28.8 को 01 बजे-
अंतिम संस्कार के लिए शव-यात्रा
मिला पारिवारिक लाभ
हत्या के शिकार विजय कुमार के बडे भाई जीतेन्द्र कुमार को पारिवारिक लाभ के तहत
नगद 20 हजार रुपए दिए गये। बीडीओ की अनुपस्थिति में सीओ विनोद सिंह ने उसे नगद
राशि उसके घर पर दी। एसडीओ राकेश कुमार व डीएसपी संजय कुमार ने आश्वस्त किया कि
बिहार सरकार के गृह विभाग को लिखा जायेगा ताकि और अधिक आर्थिक लाभ पीडित परिवार को
मिल सके।
पुलिस पर लापरवाही
का आरोप
विजय हत्याकांड में पुलिस पर लापरवाही का गंभीर आरोप लगा कर गुस्सा व्यक्त किया
गया। हालांकि डीएसपी व एसडीओ ने मामले को तुल पकडने से पहले सुलझा लिया। परिजनों
ने आरोप लगाया कि पुलिस तत्पर नहीं हुई। उदासीन बनी रही। कामता प्रसाद ने बताया कि
परिजनों का खाना-पीना मुश्किल हो गया। सब लोग चार दिन परेशान रहे। उधर पुलिस ने
नोटिस नहीं लिया। कहा कि पुलिस का व्यवहार सही नहीं था। यदि सूचना के बाद सीडीआर
(मोबाइल से की गयी बातचीत का विवरण) निकाला जाता तो अब तक अपराधी पकडे जाते। इस
मामले पर थानाध्यक्ष रविप्रकाश सिंह ने कहा कि उनकी ओर से कोई लापरवाही नहीं की
गयी है। पुरी जानकारी 26 की रात दी गयी और हर आवश्यक जगह वायरलेस से सूचना दे दी
गयी। इसके बाद दूसरे दिन शव मिल गया। कहा कि मामले की तह तक पुलिस जायेगी। पुलिस
पीडित परिवार के दुख में शामिल है और अनुसन्धान कर हत्यारे का पता लगाया
जायेगा।
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