फोटो-निर्वाचित
विधायक बीरेन्द्र कुमार सिन्हा परिवार के साथ
भाजपा से किया था
राजनीति का प्रारंभ
मुखिया, पैक्स
अध्यक्ष और अब बने विधायक
उपेन्द्र कश्यप
ओबरा समाजवादियों की धरती रही है। कहा जा रहा है कि समाजवाद
जीत गया। विधायक बने बीरेन्द्र कुमार सिन्हा का राजनीतिक कैरियर भाजपा से प्रारंभ
हुआ था और जनता दल, जनता दल यू होते राजद (महागठबन्धन) से विधानसभा के सदन तक
पहुंच गये। अर्थात दक्षिणपंथी राजनीति से प्रारंभ कर मध्यमार्ग अपनाकर समाजवाद का
झंडाबरदार बन गये। सोमवार को उन्होंने बताया कि 1980 में भाजपा से विधायक बने
बीरेन्द्र सिंह के साथ 1985 में राजनीति प्रारंभ किया। 1990 में तत्कालीन
क्षेत्रीय विधायक और राज्य सरकार के कबीना मंत्री जनता दल (जद) के कद्दावर नेता
रामबिलास सिंह के साथ जुड गये। जब जद टूटा और समता पार्टी (अब जदयू) का गठन 2000
में हुआ तो जहानाबाद के मुन्द्रिका सिंह यादव के साथ हो लिए। ओबरा से 2000 के
चुनाव में प्रत्याशी के दावेदार बने। राज्य कमिटी से केन्द्रीय कमिटी में अकेले
इनका नाम गया। टिकट नहीं मिला। 2005 में जदयू में थे। 2010 के विधान सभा चुनाव में
बतौर निर्दलीय नामांकन किया किंतु नाम वापस ले लिया। इससे पहले 2003 में विधान
परिषद का चुनाव लडे, किंतु हार गये। दिल में राजनीति का जज्बा और बडी राजनीतिक
हैसियत प्राप्त करने की तमन्ना लगातार बनी रही। अब जाकर वर्ष 2015 में वे इतिहास
लिखने में कामयाब रहे।
छूट जायेगा मुखिया
समेत कई पद
विधायक बीरेन्द्र कुमार सिन्हा को अब कई पद छोडना पडेगा। उन्होंने बताया कि शपथ
ग्रहण के बाद मुखिया पद से इस्तीफा देंगे। वे 2001 में अंकोढा पंचायत से मुखिया बने
थे। 2006 में गांव के ही प्रत्याशी से हार गये। फिर 2011 में मुखिया बने और 2014
में पैक्स अध्यक्ष। बाद में पैक्स पद कानूनी कारणों से छिन गया था। 2011 से मुखिया
संघ के प्रखंड अध्यक्ष और जिला संघ के महासचिव हैं। 2012 से राजद के किसान
प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष हैं। मुखिया पद से इस्तीफा देने के साथ ही संघ के पदों को
भी छोडना पड सकता है।
छोटा परिवार सुखी
परिवार
विधायक
बीरेन्द्र कुमार सिन्हा दाउदनगर शहर से सटे भगवान बिगहा के निवासी हैं। इनका जन्म
15 अगस्त 1968 को हुआ था। इनका गांव अंकोढा पंचायत का हिस्सा है। यहां करीब 1000
की आबादी रहती है। यदि इससे जुडे नारायण बिगहा और दशईं बिगहा की आबादी भी जोड दें
तो यह संख्या करीब 2000 तक जायेगी। इनका परिवार छोटा और सुखी है। पत्नी देवंती
देवी सिपहां मध्य विद्यालय में प्रभारी प्रधान शिक्षिका हैं। मात्र दो पुत्र हैं।
बडा कुणाल प्रताप 2008 में बिहार राज्य माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की मेघा सूची में
अव्वल रहा था। 2010 में इंटर में लडका के ग्रुप में जिला टापर रहा है। दूसरा बेटा
तेज प्रताप 2012 में राज्य मेघा सूची में जिला टापर रहा।
किसी की नजर ना लग
जाये तोहे--
फोटो- विधायक को
माला पहनाते समर्थक
शांति-व्यवस्था
बनाये रखना प्राथमिकता
दाउदनगर को जिला
बनाने की करेंगे कोशिश
सोमवार को भगवान बिगहा गुलजार है। सुबह से पूर्वाहन समाप्त
होने को है और नये निर्वाचित विधायक बीरेन्द्र कुमार सिंह जनता का अशीर्वाद निरंतर
ले रहे हैं। लोग मुंह मिठा करने की कोशिश करते हैं तो बोलन अपड रहा है कि –अभी तक
मुंह नहीं धो सके हैं। इतिहास की नई ईबारत लिखने के बाद की यह पहली सुबह है।
पिराही बाग का रिजवान इस बीच पहुंचता है और उनको सफेद फुलों का माला पहनाता है। फिर
केला और सेव का और उसके बाद जो माला निकाल तो सब चौंक गये। यह माला था लाल मिर्चाई
और नींबू का। बोला किसी की नजर न लगे आपको इसलिए यह माला पहना रहे हैं। भीड लगातार
कम-अधिक होती रही। इस बीच दैनिक जगरण के सवालों का जवाब देते हैं। कहा कि शहर में
शांति व्यवस्था बनाये रखना उनकी पहली और सबसे बडी प्राथमिकता है। बोले कि दाउदनगर
को जिला बनाने का प्रयास करेंगे। ग्रामीण यातायात दुरुस्त करना, शिक्षा और
स्वास्थ्य को बेहतर बनाने क काम करेंगे। युवाओं का रोजगार दूर कैसे हो इसकी कोशिश
की जायेगी। कह अकि प्राथमिकता के आधार पर अन्य कार्य किये जायेंगे।
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