Saturday, 30 September 2023

पार्किंग, पार्क, लाइब्रेरी, कंपोस्ट पीट, बाजार, शौचालय, सामुदायिक भवन की योजना रद्द

 


दुर्भावना से ग्रसित वार्ड पार्षदों ने किया विकास बाधित 

वार्ड पार्षदों ने रद्द कराई अपने वार्ड की योजना : मुख्य पार्षद 

जिउतिया में वार्ड पार्षदों के असहयोग का है डर

संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद) : नगर परिषद की सामान्य बैठक में शुक्रवार को काफी वाद विवाद हुआ। 21 सितंबर को सशक्त स्थाई समिति की बैठक में लिए गए सभी निर्णय को रद्द कर दिया गया। नतीजा विकास की जो योजनाएं रद्द हुई, अंतत उसका खामियाजा शहर को भुगतना पड़ेगा। नगर परिषद बोर्ड, सशक्त स्थाई समिति और वार्ड पार्षदों के बीच शुक्रवार को हुए विवाद के कारण जो 30 योजनाएं रद्द की गई उसमें शहर के लिए जरूरी पार्किंग, कई शौचालय, नगर परिषद कार्यालय के पास दुकान बनाना, जिउतिया लोकउत्सव, पुस्तकालय जैसी योजनाएं ली गई थीं, और सबको रद्द कर दिया गया। इसमें सफाई के लिए कंपोस्ट पीट, मशीन, स्टील पानी का टैंकर, ट्रैक्टर खरीदने, जल संचय जैसी योजनाओं को रद्द कर दिया गया। इस मुद्दे पर मुख्य पार्षद अंजली कुमारी ने बताया कि कुल 30 योजनाएं रद्द की गई है। जिससे काफी नुकसान होगा। जिउतिया,  दुर्गा पूजा, छठ में श्रद्धालु प्रभावित होंगे। बताया कि वार्ड के भ्रमण के दौरान उनके साथ संबंधित वार्ड पार्षद भी रहते थे। नाली गली में पटिया टूटा हुआ था। मरम्मत के कई कार्य आवश्यक हैं ताकि लोगों को आने-जाने में सुविधा हो। भ्रमण में साथ रहने वाले वार्ड पार्षदों ने भी बोर्ड की बैठक में रद्द करने पर सहमति जाहिर की। सशक्त स्थाई समिति के सदस्य डाक्टर केदारनाथ सिंह ने कहा कि दुर्भावना से ग्रसित कुछ वार्ड पार्षदों ने अधिकतम वार्ड पार्षदों को बरगलाया। जिसका नेतृत्व वसंत कुमार ने किया और सशक्त स्थाई समिति में लिए गए निर्णय को रद्द कर दिया। जिसका खामियाजा अंततः शहर को भुगतना पड़ेगा। विकास की योजनाएं पीछे चली गई। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि विकास की योजनाएं रद्द कराई जाए। सशक्त स्थाई समिति के ही सदस्य दिनेश प्रसाद ने कहा कि सबके सहयोग और सहमति से योजना ली गई थी। दुख की बात है की पार्षद अब सहयोग नहीं कर रहे हैं। इनके कथनी और करनी में फर्क है। पीछे से वार करते हैं। कहा कि डर है कि जितिया आयोजन में भी वार्ड पार्षद पैर न खींचने का काम कर दें।




किसी को बरगलाया नहीं गया 


वार्ड पार्षद बसंत कुमार ने कहा कि सभी माननीय हैं। किसी को बरगलाया नहीं गया है। जो भी निर्णय बैठक में लिया गया वह सहमति से हुआ है। सभी पांच विषय को रद्द किया गया। प्रश्न यह है कि जब पैसा है ही नहीं जो 180 योजनाएं ली गई है उसके कार्यान्वयन के लिए तो फिर नई योजनाएं लेकर जनता को भरमाने का काम क्यों किया जा रहा है।


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