दैनिक जागरण में 30 जनवरी को
प्रकाशित उपेंद्र कश्यप की रिपोर्ट
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पार्षदों के समर्थन की है दोनों पक्षों को आवश्यकता
बराबर
की स्थिति में अध्यक्षता कर रहे व्यक्ति का मत निर्णायक
नगर
परिषद में सत्ता संघर्ष का फलाफल शनिवार को निकलेगा। आज सदन में शक्ति परीक्षण
होगा और किस के पाले में 14
वार्ड पार्षद हैं, यह स्पष्ट हो जाएगा। सत्ता
जाएगी या बचेगी यह अविश्वास प्रस्ताव स्वीकृत या अस्वीकृत होने के साथ ही स्पष्ट
हो जाएगा। लेकिन अविश्वास प्रस्ताव को लेकर नियम क्या कहते हैं, यह जानने की जिज्ञासा भी शहरवासियों को है। दोनों पक्ष तकनीकी तौर पर
दस्तावेजों के साथ मजबूत होने की कोशिश करेंगे क्योंकि राजनीति में कुछ भी संभव
है। सबसे ज्यादा रोचक स्थिति तब होगी जब किसी की अनुपस्थिति के कारण वोट की संख्या
दोनों पक्षों को बराबर बराबर हो जाती है। ऐसी स्थिति में ही अध्यक्ष की भूमिका
महत्वपूर्ण होती है और यह अध्यक्ष स्वाभाविक तौर पर अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले
समूह का होता है। वर्ष 2002 में नगर निकाय का चुनाव शुरू
होने के बाद से 3 बार अविश्वास प्रस्ताव में शामिल रहे पूर्व
वार्ड पार्षद रामअवतार चौधरी से इस संबंध में दैनिक जागरण ने बातचीत की। नगर परिषद
में 27 वार्ड पार्षद हैं और 14 का
जादुई आंकड़ा दोनों पक्षों को सफल होने के लिए जरूरी है। जिसके पास यह संख्या होगी
वह सफल होगा। श्री चौधरी के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली बैठक में सदन
में चाहे जितने वार्ड पार्षद उपस्थित हों मतदान होना नितांत आवश्यक है। अविश्वास
प्रस्ताव लाने वाले समूह का वार्ड पार्षद अध्यक्षता कर सकता है। अगर उसे 14
वोट मिल गए तो अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाएगा। किसी कारणवश यदि
कोई सदस्य उपस्थित नहीं रहा और सदन में दोनों पक्षों को बराबर बराबर मत मिले तो
ऐसी स्थिति में क्या होगा? हालांकि कौशलेंद्र सिंह कहते हैं
कि यह कतई संभव नहीं कि कभी एक समान मत दोनों पक्षों को मिले। गुरुवार को नगर
परिषद परिसर में अनौपचारिक बातचीत में तीन मुद्दे उठे। सदन की अध्यक्षता कर रहा
व्यक्ति वोट देगा या नहीं देगा और दोनों पक्षों को बराबर वोट मिलने की स्थिति में
क्या वह एक और वोट निर्णायक के रूप में देगा? इस पर लंबी
मंत्रणा हुई। पूर्व वार्ड पार्षद राम औतार चौधरी
वार्ड पार्षद रहे रामअवतार चौधरी हाईकोर्ट का फैसला दिखाते हुए बताते
हैं कि अविश्वास प्रस्ताव पर हुई बैठक में अध्यक्षता कर रहा वार्ड पार्षद सदस्य के
रूप में वोट तो देगा ही, वह निर्णायक वोट भी दे सकता है।
नियमावली पुस्तिका में 51 (2) में कहा गया है कि अध्यक्षता
कर रहे व्यक्ति को भी मत बराबर होने की स्थिति में, निर्णायक
मत होगा और इसका वह प्रयोग कर सकेगा। श्री चौधरी कहते हैं कि इसकी व्यख्या करते
हुए हाई कोर्ट ने नवीनगर से जुड़े मामले सीडब्ल्यूजेसी नम्बर-9843/2011 में फैसला जो दिया था उसमें व्यस्था दी है कि अध्यक्ष दो वोट करेगा। एक
बैलेट बॉक्स में जायेगा और दूसरा लिफाफा में सीलबंद रहेगा। जिसका इस्तेमाल दोनों
पक्ष में एक समान मत पड़ने पर होगा। इनके अनुसार यह इसलिए है ताकि पूर्व से तय
विचार में अध्यक्षता कर रहा व्यक्ति समान मत होने की स्थिति में अपना विचार न बदल
सके।
अध्यक्षता करेंगे कौशलेंद्र सिंह
नगर
परिषद में अविश्वास प्रस्ताव के लिए होने वाली शनिवार की बैठक की अध्यक्षता
कौशलेंद्र सिंह कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार किसी तरह की कोई गड़बड़ी न हो सके
इसलिए स्वयं वे ही अध्यक्षता कर सकते हैं। उन्होंने ही अपने समेत 12 वार्ड पार्षदों के हस्ताक्षर से बैठक बुलाने की मांग कर रखी है।
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