दाउदनगरडॉटइन
का आयोजन ‘दाउदनगर उत्सव’ सफल रहा। इसके विभिन्न
पहलुओं पर मेरी दृष्टि। प्रशंसा भी, समालोचना भी, सलाह भी और कुछ ख़ास भी.....
(सन्दर्भ-दाउदनगरडॉटइन द्वारा आयोजित
“दाउदनगर महोत्सव”)
“दाउदनगर महोत्सव”)
०० उपेन्द्र कश्यप ००
दाउदनगर कई दिन की हलचलों के बाद शांत हो गया। यह हलचल थी
दाउदनगरडॉटइन द्वारा आयोजित “दाउदनगर महोत्सव” से संबद्ध सांस्कृतिक गतिविधियों की
वजह से। कभी सबसे बड़े ‘खुला-शौचालय’ का तगमा रखने वाले दाउद खां कुरैशी के किला
परिसर में अपनी तरह का यह दूसरा आयोजन था। 16 दिसंबर के पूर्व गत वर्ष भी यही
आयोजन हुआ था। महत्वपूर्ण है कि तब किला का जीर्णोद्धार कार्य आधा से अधिक हो चूका
था। मो.इरशाद और नीरज कुमार की मित्र मंडली का यह प्रयास सर्वथा सराहनीय है। एक
अच्छी कोशिश और सकारात्मक पहल। एक उम्मीद जगाती युवा और उर्जान्वित टीम दिखती है।
पुरे कार्यक्रम में डिजिटल युग का प्रभाव दिखता है। उदघाटन सत्र में मैं था। इस
कारण एसडीएम अनीश अख्तर के साथ डिजिटल तरीके से उद्घाटन किया और गुब्बारा भी उड़ाया-जिसे
शान्ति का प्रतिक बताया गया। अब भला सफ़ेद कबूतर मिलते भी कहां हैं? साथ में
अश्विनी तिवारी रहे। एसडीपीओ राज कुमार तिवारी के साथ भी मंच साझा करने का मौका मिला।
उनसे गुफ्तगुं हुई तो उद्घोषक आफताब राणा से दुसरी बार माइक मांग लिया। मैंने
बताया कि दाउदनगर किला को राष्ट्रीय महत्त्व के धरोहर वाले स्मारकों की सूची में
जगह दिलाई जाए। इस सन्दर्भ में मैं और गोह विधायक मनोज कुमार पर्यटन विभाग के
प्रधान सचिव से मिल चुके थे। तब साथ में धर्मवीर भारती थे। किला के विकास के लिए एसडीपीओ
से सहयोग लेने को दाउदनगरडॉटइन से कहा तो नीचे खड़े इरशाद ने अंगूठा दिखाया।
आशान्वित किया कि उनकी टीम अब पहल करेगी। किला का सौन्दर्यीकरण हुआ किन्तु अधूरा
क्योंकि चारदीवारी पुरी तरह इसलिए नहीं बन सकी क्योंकि अतिक्रमण नहीं हटाया जा सक
रहा है। बहरहाल, आयोजन बेहतर है, सकारात्मक है। आने वाले समय में यह बड़ा आयाम
प्राप्त कर सकता है- यदि कोशिश समष्टि में हो।
जिन्दगी उलझी रही
ब्रह्म की तरह:-
एसडीपीओ राजकुमार तिवारी ने अपनी बात शुरू कि- कोई कंघी न
मिली जिससे संवारु इसको, जिंदगी उलझी रही ब्रह्म की तरह। मगध का
इतिहास और सोन की धारा का जिक्र किया। बोले- मग का अर्थ है आग का गोला। मगध हमेशा
इंटरफेस (अभिव्यक्त या रिफ्लेक्ट करता है मगध भारत की हर घटनाओं को) रहा है।
तपस्वी भृगु और च्यवन की यह धरती है। मग ब्राह्मण बाहर से महाभारत काल में लाये
गए। यह मगध ही है जिसने गौतम को बुद्ध बना दिया। यहां ऐसी ताकत है जो व्यक्ति को
जिंदा बना देता है। 1662 से 1672 तक दाउदनगर सत्ता का केन्द्र रहा। दाउदनगर से
दाऊद खान ने सत्ता चलाया। इस पर गर्व करें। जब तक गर्व करने का माद्दा नहीं रहेगा
तब तक आप विकास नहीं कर सकते। कहा यह जीर्णोद्धार का बाट जोह रहा है। आप सजग हो
जाएं तो कुछ भी असंभव नहीं है। यहां के लाल चाहे जहां रहते हों इसके संरक्षण के
लिए प्रयासरत रहें। गौरव की अनुभूति करिये कि यहां से बिहार की सत्ता का संचालन होता
था। युवा आगे आएं। शहर और यहां के युवाओं को जाग्रत होने के जरूरत है।
आलोचना
से परे कुछ भी नहीं, किन्तु उसे लें सकारात्मक:-