वर्ष 1860 से पहले से यहां जिउतिया लोक उत्सव
जिउतिया लोकोत्सव का कारण प्लेग की महामारी
आज है नगर परिषद क्षेत्र की जनसंख्या 65543
उपेंद्र कश्यप, जागरण ● दाउदनगर (औरंगाबाद) : दाउदनगर में जितिया लोकोत्सव का आरंभ न्यूनतम वर्ष 1860 माना जाता है। यह मानने का आधार है एक लोकगीत। यह लोकगीत कसेरा टोली स्थित जीमूतवाहन भगवान के मंदिर पर यहां के श्रद्धालु गाते हैं। पंक्ति है- जितिया जे रोप ले हरिचरण, तुलसी, दमड़ी, जुगल, रंगलाल रे जितिया। संवत 1917 के साल रे जितिया, अरे धन भाग रे जितिया।
संवत 1917 अर्थात 1860 ईस्वी सन में यहां जिउतिया संस्कृति का आरंभ हुआ है। हालांकि इससे पहले इसका आरंभ पटवा टोली इमली तल तांती समाज द्वारा किया गया माना जाता है। जिसका नकल कांस्यकार समाज ने किया। कालांतर में इस समाज के लोगों ने गीत लिखे तो यह बात सामने आई कि कांस्यकार समाज के किस किस व्यक्ति ने इसका आरंभ किया। महत्वपूर्ण तथ्य है कि यहां का कांस्यकार समाज तब सबसे समृद्ध जातियों में शामिल था। इसकी वजह यह है कि यहां बर्तन उद्योग काफी समृद्ध था। कई कई रोलर मिल तक यहां बने लगे थे। प्रायः घरों में बतौर कुटीर उद्योग पीतल कांसा के बर्तन बनाए जाते थे। अर्थतंत्र मजबूत था तो स्वाभाविक है कि समाज भी अपेक्षाकृत अधिक सक्रिय और समृद्ध था। दूसरी तरफ पटवा तांती समाज तब श्रम का ही कार्य करता था और कुछ घरों में बुनकरी का कुटीर उद्योग भी चलता था। इमली तल इस तरह के गीत नहीं गए जाते जिससे यह ज्ञात हो कि यहां जितिया का आरंभ कब, किसने, किस परिस्थिति में किया।
यहां प्लेग देवी मां का मंदिर और लावणी की उपस्थिति यह बताती है यह संस्कृति का बीज तत्व महाराष्ट्र से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि यहां प्लेग की महामारी आई थी। जिसे रोकने के लिए तब चिकित्सकीय व्यवस्था चूंकि उपलब्ध नहीं थी तो लोग जादू टोना पर अधिक निर्भर करते थे और तब महाराष्ट्र से यहां ओझा गुनी लाये गए थे। इसके बाद से ही यह आरंभ हुआ था। प्लेग की महामारी से बचाव के जो उपाय किए गए, उसमें रतजगा भी था। रात-रात भर लगातार कई रात जागने के उपाय के तौर पर करतब, नौटंकी, नाटक, गायन समेत अन्य लोक कलाओं की प्रस्तुति की जाने लगी। यही बाद में परंपरा का रूप धरते हुए यहां की लोक संस्कृति में परिवर्तित हो गई। तब शहर की जनसंख्या बमुश्किल 5000 की रही होगी। महत्वपूर्ण तथ्य है कि 1885 में दाउदनगर को शहर का दर्जा प्राप्त हुआ था। यह नगर पालिका बना था और 1881 में यहां की जनसंख्या 8225 थी। इससे पहले की जनसंख्या का आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। स्वाभाविक है कि इससे 20 साल पूर्व 5000 से अधिक आबादी होने का अनुमान नहीं लगाया जा सकता। फिलहाल 2011 की जनगणना के अनुसार इस शहर की आबादी 52340 है। जबकि वर्ष 2023 में हुए जाति सर्वे रिपोर्ट के अनुसार शहर की जनसंख्या 65543 है।